राजस्थान – शनिवार की सुबह पोखरण के रेगिस्तान में सूरज की पहली किरणें लिपटी हुई थीं। एक साधारण दिन की शुरुआत थी, लेकिन डीआरडीओ के लिए यह दिन किसी विशेष उत्सव से कम नहीं था। आज, उन्होंने अपने आधुनिक हथियार सिस्टम VSHORADS का तीसरा सफल परीक्षण करने का संकल्प लिया था।
सभी तैयारियों के बीच, वैज्ञानिक और इंजीनियर अपने काम में जुटे हुए थे। परीक्षण स्थल पर सभी की निगाहें उस छोटी सी मिसाइल पर थीं, जो अपने तकनीकी विकास और देश की सुरक्षा के प्रतीक बन चुकी थी। डीआरडीओ की टीम ने पहले ही दो सफल परीक्षण कर लिए थे, लेकिन आज की सफलता ने उनकी मेहनत को और भी परिभाषित करने वाला बनाना था।
जैसे ही मिसाइल को लॉन्च किया गया, हवा में हल्की सी गूंज हुई। सबकी सांसें थम गईं। फिर अचानक, एक तेज धमाका और उसके बाद उस लक्ष्य की ओर बढ़ती हुई VSHORADS ने सभी का दिल जीत लिया। यह दृश्य अद्भुत था—मिसाइल ने सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को भेदा था।
इस सफलता के साथ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, भारतीय सेना और इसके सहयोगी उद्योगों की सराहना की। उन्होंने कहा, “यह प्रणाली हमें कम ऊँचाई पर उड़ने वाले हवाई खतरों, जैसे ड्रोन्स, के खिलाफ और अधिक सक्षम बनाएगी।”
इसी बीच, डीआरडीओ के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अजय ने अपने सहयोगियों के साथ जश्न मनाया। उनके चेहरे पर एक संतोष और गर्व का भाव था। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ एक मिसाइल नहीं है; यह हमारी आत्मनिर्भरता और तकनीकी क्षमता का प्रतीक है।”
वो दिन सिर्फ डीआरडीओ के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए नई सुबह की किरण लेकर आया था। हर वैज्ञानिक और सैनिक ने मिलकर यह विश्वास दिलाया कि देश की सुरक्षा में वे एक मजबूत कड़ी बनेंगे।
इस सफल परीक्षण ने यह साबित कर दिया कि जब देश एकजुट होता है, तो कोई भी चुनौती छोटी नहीं होती। और इस तरह, एक और सफलता के साथ, डीआरडीओ ने भविष्य के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले।
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