देहरादून: देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित प्राचीन और ऐतिहासिक टपकेश्वर महादेव मंदिर से भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चांदी का नाग बीते रविवार को चोरी हो गया। लगभग 200 ग्राम वजनी यह नाग शिवलिंग पर वर्षों से सुशोभित था और श्रद्धालुओं की गहरी आस्था का प्रतीक माना जाता था।
मंदिर प्रबंधन ने इस घटना को सिर्फ एक चोरी नहीं…बल्कि सदियों पुरानी परंपरा और धार्मिक भावनाओं पर सीधी चोट बताया है। घटना की सूचना मिलते ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं और सेवादारों में गहरा रोष फैल गया।
घटना के बाद मंदिर की देखरेख कर रहे श्री टपकेश्वर महादेव सेवादल (रजि.) के कार्यकारिणी सदस्य अनुभव अग्रवाल ने सोमवार को कैंट थाना पहुंचकर चोरी की लिखित शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि मंदिर की टीम ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से संदिग्ध की पहचान की कोशिश की और एक व्यक्ति को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।
कैंट थानाध्यक्ष केसी भट्ट ने बताया कि जिस व्यक्ति को मंदिर समिति ने पकड़ा है, वह संदिग्ध है और जांच जारी है। मामले में धारा 380 (चोरी) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और पुलिस टीमें आरोपी की गिरफ्तारी और चांदी के नाग की बरामदगी के प्रयास में जुटी हैं। उन्होंने कहा कि कोशिश की जा रही है कि भगवान शिव के मस्तक पर चांदी का नाग दोबारा सुशोभित किया जाए।
देहरादून का टपकेश्वर महादेव मंदिर न केवल एक पूजास्थल है बल्कि महाभारत काल से जुड़ी आध्यात्मिक विरासत भी है। यह मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में स्थित है…जिसे द्रोण गुफा कहा जाता है। मान्यता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने यहीं तपस्या की थी।
एक पौराणिक कथा के अनुसार जब अश्वत्थामा दूध के लिए रो रहे थे तो भगवान शिव उनकी पुकार सुनकर प्रसन्न हुए और गुफा की छत से दूध की धारा प्रवाहित की जो बाद में जल में परिवर्तित हो गई। यही जल आज भी शिवलिंग पर बूंद-बूंद गिरता रहता है…जिससे यह स्थान “टपकेश्वर” के नाम से प्रसिद्ध हुआ।