देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में कड़ाके की ठंड के बीच सड़क किनारे रह रहे बेसहारा, बेघर ओर निराश्रित लोगों के लिए अब गाड़ियों से रैन बसेरों तक पहुंचाने के लिए नगर आयुक्त ने टीमों का गठन किया है। नगर निगम द्वारा शहर में पहले 22 जगहों पर अलाव की व्यवस्था की गई थी। अब कड़ाके की ठंड पड़ रही है तो शहर के 47 जगहों पर अलाव की व्यवस्था की गई है।
शीत लहर के चलते अलाव की संख्या बढ़ी
दरअसल, शीत लहर को देखते हुए नगर निगम देहरादून ने पहले 27 नवंबर से शहर के 22 स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की थी। लेकिन जैसे-जैसे ठंड का असर तेज हुआ, वैसे-वैसे अलाव की संख्या भी बढ़ा दी गई। अब शहर के कुल 47 स्थानों पर अलाव जलाए जा रहे हैं। नगर आयुक्त ने निरीक्षण के दौरान आवश्यकता के अनुसार अलाव स्थलों की संख्या और बढ़ाने के निर्देश भी दिए हैं।
शहर के प्रमुख चौराहों पर अलाव से राहत
इस कड़ी में आईएसबीटी, रेलवे स्टेशन, सहारनपुर चौक, घंटाघर, दून अस्पताल चौक, रिस्पना चौक, बल्लूपुर, अजबपुर, कारगी चौक, निरंजनपुर मंडी, सहस्त्रधारा चौक सहित कई प्रमुख स्थानों पर अलाव जलाए जा रहे हैं। इससे न केवल निराश्रितों को, बल्कि देर रात तक आवाजाही करने वाले लोगों और रात को देहरादून पहुँचने वाले यात्रियों को भी ठंड से राहत मिल रही है।
रैन बसेरों में पूरी सुविधाओं का इंतजाम
इसके साथ ही, नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत संचालित चार रैन बसेरों को पूरी तरह सक्रिय रखा गया है। पटेल नगर रैन बसेरा (120 क्षमता), ट्रांसपोर्ट नगर (40), चूना भट्टा (35) और घंटाघर के पास संचालित रैन बसेरे में प्रतिदिन करीब 100 लोगों के ठहरने की सुविधा है। यहां बेड, कंबल, रजाई, गद्दे, ब्लोअर, गीजर, शौचालय और अलाव की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है।
24 घंटे खुले हैं रैन बसेरे, तीन शिफ्टों में तैनात स्टाफ
देहरादून नगर निगम ने सभी रैन बसेरों को चौबीसों घंटे संचालित रखने के निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए तीन शिफ्टों में चौकीदारों की तैनाती की गई है, ताकि किसी भी समय जरूरतमंद व्यक्ति को आश्रय मिलने में परेशानी न हो। नगर आयुक्त नमामि बंसल ने बताया कि कड़ाके की ठंड को देखते हुए विशेष टीमों का गठन किया गया है। जो फुटपाथों, मंदिरों के बाहर और सड़क किनारे रह रहे बेसहारा लोगों को चिन्हित कर रैन बसेरों तक पहुंचा रही हैं। उन्होंने कहा कि शीत लहर के दौरान किसी भी जरूरतमंद को ठंड से जूझने के लिए अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।





