2027 तक AI बन सकता है बड़ा खतरा, गूगल के पूर्व कर्मचारी की चौंकाने वाली भविष्यवाणी

AI की वजह से पिछले कुछ साल में लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। अगले 5 साल में हर सेक्टर से 80% से ज्यादा लोगों की नौकियों पर खतरा मंडरा रहा है। गूगल के पूर्व कर्मचारी ने इसी बीच ऐसी भविष्यवाणी की है, जिसे सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे।

नई दिल्ली – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आने वाले वर्षों में न केवल तकनीकी क्षेत्र में क्रांति लाएगा, बल्कि यह वैश्विक सामाजिक-आर्थिक ढांचे को भी पूरी तरह बदल सकता है। माइक्रोसॉफ्ट की हालिया रिसर्च के अनुसार, अगले 5 वर्षों में AI के कारण 80 प्रतिशत तक नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।

इसी बीच गूगल के पूर्व चीफ बिजनेस ऑफिसर मो गॉडेट (Mo Gawdat) ने चौंकाने वाली भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि 2027 तक मिडिल क्लास का लगभग पूरी तरह अंत हो सकता है। उन्होंने AI को एक ऐसा बदलाव बताया है, जो पढ़े-लिखे, पेशेवर वर्ग को भी बेरोजगारी की ओर धकेल सकता है।

“स्वर्ग से पहले का नर्क”

मो गॉडेट ने ‘Diary of a CEO’ पॉडकास्ट में कहा, “2027 तक हम ‘स्वर्ग से पहले के नर्क’ जैसे दौर से गुजरेंगे।” उन्होंने चेताया कि AI-पावर्ड ऑटोमेशन के कारण कई पेशेवर भूमिकाएं पूरी तरह समाप्त हो जाएंगी – इनमें सॉफ्टवेयर इंजीनियर, CEO और यहां तक कि पॉडकास्टर्स तक शामिल हैं।

जब 350 की जगह 3 लोग काफी होंगे

AI के विकास की रफ्तार का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि गॉडेट के अनुसार, जहां पहले एक स्टार्टअप को संचालित करने के लिए 350 कर्मचारियों की आवश्यकता होती थी, आज वही काम केवल 3 लोग AI की मदद से कर रहे हैं। वह फिलहाल AI-आधारित रिलेशनशिप स्टार्टअप Emma.love चला रहे हैं।

पढ़े-लिखे होंगे बेरोजगार!

गॉडेट ने कहा, “पहले औद्योगिकीकरण ने मैनुअल लेबर को रिप्लेस किया, अब AI पढ़े-लिखे लोगों को भी नौकरी से बाहर कर रहा है।” उनके अनुसार, जो लोग टॉप 0.1% में नहीं आते, वे आर्थिक रूप से ‘अप्रासंगिक’ (Economically Irrelevant) हो जाएंगे। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक अलगाव और प्रोफेशनल पहचान पर गहरा असर पड़ेगा।

2040 तक बदल जाएगा वर्ल्ड ऑर्डर

मो गॉडेट ने यह भी भविष्यवाणी की कि 2040 तक एक नया वर्ल्ड ऑर्डर तैयार होगा, जिसमें रचनात्मकता (Creativity), समुदाय (Community) और आध्यात्म (Spirituality) को प्राथमिकता दी जाएगी।

उन्होंने सरकारों को चेताया कि अब समय है यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी योजनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाए और AI के विकास को नियामित करने के लिए ठोस नीतियां बनाई जाएं।

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