24 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृपक्ष, श्राद्ध में भूलकर भी न करें यह काम, नहीं तों पितृपक्ष हो जाते है नाराज…….

श्राद्धपक्ष आरम्भ होने वाले हैं। जो 24 सितंबर से शुरू होकर और 8 अक्टूबर तक चलेगा। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों की आत्मा धरती पर आती है और अपने परिजनों के साथ रहती हैं। पितरों को खुश रहने के लिए श्राद्ध के दिनों में विशेष कार्य करना चाहिए। वही कुछ वर्जित कार्य नहीं करना चाहिए। पितृपक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को पान, दूसरे के घर पर खाना और शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए। साथ ही पूरे पितृपक्ष में ब्रह्राचर्य के व्रत का पालन करना चाहिए। पितृपक्ष में कभी भी लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इन दिनों पत्तल पर स्वयं और ब्राह्राणों को भोजन करवाना उत्तम माना गया है। पितृपक्ष में कोई भी शुभ कार्य या नयी चीजों की खरीददारी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि पितृपक्ष शोक व्यक्त करने का समय होता है। पितृपक्ष में हमारे पितर किसी भी रुप में श्राद्ध मांगने आ सकते हैं, इसलिए किसी जानवर या भिखारी का अनादर नहीं करना चाहिए। पितृपक्ष में बिना पितरों को भोजन दिए खुद भोजन नहीं करना चाहिए। जो भी भोजन बने उसमें एक हिस्सा गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ को खिला देना चाहिए। श्राद्ध में बनाया जाने वाला भोजन घर की महिलाओं को नहीं खिलाना चाहिए। श्राद्ध में पुरुषों को दाढ़ी मूंछ नहीं कटवाना चाहिए। श्राद्ध के पिंडों को गाय, ब्राह्राण और बकरी को खिलाना चाहिए। चतुर्दशी को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। लेकिन जिस किसी की युद्ध में मृत्यु हुई हो उनके लिए चतुर्दशी का श्राद्ध करना शुभ रहता है।

 

 

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