अगर आप मधुमेह के मरीज है तो उपवास आपके लिए आत्महत्या जैसा है और ज्यादा उपवास रखेंगे तो आप मधुमेह जैसी बीमारी हो सकती है। यह मानना है चिकित्सकों का। अगर आप अपने वजन को कम करने के लिए एक के बाद एक दो या तीन दिन के अंतराल पर उपवास कर रहे हैं, तो इससे मधुमेह का खतरा पैदा हो सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि वजन घटाने के लिए हर दूसरे दिन उपवास करना चीनी विनियमन हार्मोन इंसुलिन के क्रियान्वयन को नुकसान पहुंचाता है, जिससे मधुमेह होने का खतरा बढ़ सकता है। इस शोध के निष्कर्ष को बार्सिलोना में ईसीई 2018 में इंडोक्राइनोलॉजी की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया। इसमें सुझाव दिया गया कि उपवास आधारित आहार दीर्घकालिक स्वास्थ्य जोखिमों से जुड़ा हो सकता है। ऐसे में वजन घटाने के कार्यक्रम के शुरुआत से पहले सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए। टाइप-2 मधुमेह एक बढ़ती वैश्विक महामारी है और यह अक्सर असंतुलित आहार व बैठने वाली जीवनशैली से जुड़ा है और इस तरह से यह मोटापे से जुड़ी हुई है।
ब्राजील के साओ पाउलो विश्वविद्यालय की शोध की लेखक अना बोनासा ने कहा, “यह पहला शोध है, जो दिखाता है कि वजन घटाने के बावजूद रुक-रुक कर उपवास रहने वाले आहार से वास्तव में अग्नाशय को क्षति पहुंचती है और इससे सामान्य रूप से स्वस्थ व्यक्तियों में इंसुलिन के कार्य पर असर पड़ता है। इससे मधुमेह या स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
टाइप 2 मधुमेह से ग्रस्त लोगों का ब्लड शुगर का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिसको नियंत्रण करना बहुत मुश्किल होता है। इस स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को अधिक प्यास लगती है, बार-बार मूत्र लगना और लगातार भूख लगना जैसी समस्यायें होती हैं। यह किसी को भी हो सकता है, लेकिन इसे बच्चों में अधिक देखा जाता है। टाइप 2 मधुमेह में शरीर इंसुलिन का सही तरीके से प्रयोग नहीं कर पाता है।
टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह
डायबिटीज दो प्रकार होता है – टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज। टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन का बनना कम हो जाता है या फिर इंसुलिन बनना बंद हो जाता है, और इसे काफी हद तक नियंत्रण किया जा सकता है। जबकि टाइप 2 डायबिटीज से प्रभावित लोगों का ब्लड शुगर का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जिसको नियंत्रण करना बहुत मुश्किल होता है। टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज एक ही जैसा नहीं होता है, इन दोनों में बहुत अंतर होता है।