उत्तराखंड के ये चार मंत्री जो 2017 में रहें चर्चाओं में!

भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस और विकास को एजेंडा बनाकर काम कर रही त्रिवेन्द्र सरकार के कुछ मंत्री बीते साल अलग-अलग कारणों के चलते चर्चो में रहे। साल 2017 त्रिवेंद्र सरकार में कई मंत्रियों के लिए खुशी लेकर आया तो कई के लिए बड़े विवाद खड़े कर गया। इनमे से कुछ मंत्री जन-हित के मामलों में जनता के बीच अपनी छाप छोड़ गए, तो वंही कुछ मंत्री विवादित बयानबाजी करके सरकार की फजीयत कराते दिखे।

साफ़ छवि व जनप्रिय नेता प्रकाश पन्त:

बीजेपी सरकार में सरल एव मृदुल स्वभाव के कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत है। इसमें कोई दो राय नही है कि उत्तराखण्ड की राजनीति में अभी तक प्रकाश पंत सबसे स्वछ छवि व जनप्रिय नेता के रूप में उभरकर आये है। अपने राजनीतिक जीवन के प्रारम्भ से ही उनका जनता के प्रति समर्पण भाव को देखा जा सकता है। इसी का परिणाम है पूर्व में उन्हें उत्कृष्ट विधायक व कॉमनवेल्थ देशो में सबसे कम उम्र में विधानसभा अध्यक्ष बनने का ऐतिहासिक गौरव भी उन्हें प्राप्त है। वर्तमान में वित् ,आबकारी , पेयजल, स्वछता ,संसदीय कार्य जैसे बड़े मन्त्रालय उनके पास है।

भाजपा सरकार में वित्त मंत्रालय की अहम जिम्मेवारी सभाल रहे प्रकाश पन्त ने अपना पहला बजट पेश किया, इसमे सबसे खास बात यह है कि इसमें कोई नया कर नहीं लगाया गया है। साल  2017-18 के इस बजट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प ‘सबका साथ, सबका विकास’ को हकीकत में जमीन पर उतारने के लिए पांच साल का खाका भी तैयार किया गया है। पार्टी के दृष्टिपत्र में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस और सुशासन की प्रतिबद्धता को बजट में सबसे ऊपर रखा गया है। प्रकाश पन्त ने जनता को राहत देते हुए 39957.79 करोड़ का करमुक्त बजट पेश किया। मंत्री प्रकाश पंत ने जीएसटी, शराबबंदी व पेयजल जैसे गंभीर विषयो पर जनता की समस्याओ को दृष्टिगत रखते हुए तत्काल निर्णय लिए है। जनता की समस्याओ सुनने व उनके निस्तारण करने के लिए वित्त एव पेयजल मंत्री विधानसभा में अभी तक सबसे ज़्यादा दिनों तक डटे रहे है। इस दौरान उन मिलने के लिए लोग राज्य के अलग अलग जगहों से समस्याओ को लेकर लोग बेहिचक पहुच रहे है।

राज्य सरकार के संकट-मोचन मदन कौशिक:

हरिद्वार के विधायक मदन कौशिक भी भाजपा के कद्दावर नेताओं में शामिल हैं। विधानसभा चुनावों में लगातार जीत दर्ज करते आ रहे कौशिक की छवि तेजतर्रार नेता की है। कौशिक के कद का अंदाजा इस बात ये लगाया जा सकता है कि उन्हें शहरी विकास मंत्री के साथ-साथ प्रदेश सरकार के प्रवक्ता की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी दी गई है। मदन कौशिक पूर्ववर्ती खंडूडी सरकार में भी आबकारी, शहरी और पर्यटन मंत्री का पदभार भी संभाल चुके हैं। बताते चलें कि मदन कौशिक भाजपा हाई कमान की भी पसंद है। इसी के चलते भाजपा हाई कमान ने गुजरात चुनाव में मदन कौशिक के चुनावी कौशल का लाभ लेने के लिए उन्हें गुजरात चुनाव प्रचार में भेजा था। कहा जाता है कि मदन कौशिक की सबसे बड़ी ताकत उनका चुनावी प्रबंधन है जिसका तोड़ पिछले 16 सालो में विपक्षी पार्टिया खोज नहीं पाई है।

कड़ी जदो-जहद के बीच सरकार और संगठन में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे सुबोध उनियाल:

 उत्तराखंड के तेज-तर्रार युवानेता, हर दिल अजीज सुबोध उनियाल सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के सबसे खास व भरोसेमंद मंत्री बनते जा रहे है। कृषि महकमे का प्रभार संभालने के बाद उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों की बिखरी हुई कृषि जोत से कृषकों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए चकबंदी योजना तैयार की है। जिसका मकसद पर्वतीय क्षेत्र में कृषकों को उनके उत्पाद का अधिक से अधिक मूल्य दिलाना तथा बिचौलियों को हटाना है। सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि मंत्री सुबोध उनियाल की सीएम त्रिवेंद्र रावत से नजदीकियां इस लिए बढ़ रही है कि सीएम चाहते है की कृषि के क्षेत्र में प्रदेश उच्च मुकाम हासिल कर सके और राज्य के किसानो की आदमी बढे। त्रिवेंद्र सरकार का संकल्प है कि राज्य में पलायन पर अंकुश लगाने के लिए रोजगार के विकल्प खोजे जाए, इसी के तहत त्रिवेंद्र सरकार राज्य के किसानो की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि के क्षेत्र में ठोस कदम उठा रही है, इसकी जिम्मेवारी सीएम त्रिवेंद्र ने कृषि मंत्री सुबोध उनियाल को दे रखी है। कांग्रेस में बगावत का झंडा बुलंद कर भाजपा में शामिल हुए नरेंद्रनगर के तेजर तर्रार विधायक सुबोध उनियाल अब भाजपा में भी अपना मुकाम बना चुके हैं। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी की केरल में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उत्तराखंड के मंत्री सुबोध उनियाल को राष्ट्रीय परिषद में शामिल किया गया है। परिषद में पहले से ही भाजपा प्रदेश कोर ग्रुप में शामिल पांचों सांसद, चार पूर्व मुख्यमंत्री, चार प्रदेश महामंत्री के अलावा त्रिवेंद्र सिंह रावत व धन सिंह रावत सदस्य के रूप में नामित हैं।

बड़बोले मंत्री अरविन्द पण्डे: 

राज्य की बीजेपी सरकार में अगर सबसे ज्यादा कोई मंत्री अपने बयानबाजी को लेकर चर्चा में रहा तो वह हैं कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे। राजधानी दून के एक स्कूल में वह प्लस- माइनस-प्लस के फेर में फंस गए। इस दौरान अरविंद पांडे ने एक स्कूल का औचक निरीक्षण किया था। जिसमें वह एक सरकारी शिक्षक को ना केवल डांटते हुए दिखाई दिए, बल्कि उल्टा ही प्लस-माइनस के जाल में फंस गए। इसको लेकर मंत्री महोदय की उत्तराखंड ही नहीं सोशल मीडिया पर हर ओर किरकिरी भी हुई थी। मंत्री अरविंद पांडे के घर पर एक शादी का समारोह था। लिहाजा गलती ढूंढने वालों ने शिक्षा मंत्री के बेटे की शादी के कार्ड में भी एक-दो नहीं बल्कि 9 गलतियां निकाल कर खूब खिल्ली उड़ाई। वहीं, दिसंबर में मंत्री के बयान से इतना बवाल हो गया कि शिक्षक संघ से लेकर विपक्ष और प्रदेशभर के महिला संगठनों ने मंत्री अरविंद पांडे के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मंत्री जी ने नए साल के अंत दिनों में यह कहकर बवाल मचा दिया कि उनके पास बेहद बड़े सबूत हैं, जिससे साफ हो जाता है कि खेल संघ कई खिलाड़ियों का शारीरिक शोषण कर रहा है। भला ऐसे मंत्री को अगर शिक्षा मंत्री बनाया जाएगा तो राज्य में शिक्षा का क्या हाल होगा। इसको लेकर मंत्री अरविंद पांडे खूब विवादों में घिरे रहे। समय बीतता गया और मंत्री अपने बयानों को लेकर काफी चर्चा में रहे। बडबोले मंत्री को लेकर लगातार राज्य में चर्चा का बाजार गर्म रहा, वंही कुछ लोगो ने  मंत्री के अलग-अलग नाम भी रख दिए ……….

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