पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के पौड़ी, चमोली, टिहरी, अल्मोड़ा और नैनीताल जिलों में आदमखोर बाघिन के आतंक की कहानी सदियों पुरानी हैं। बिजली की पहुँच से दूर इन गांवों में आदमखोर बाघ, बाघिन का रात में आना और बच्चों को उठा ले जाना यहाँ की सबसे बड़ी त्रासदी रही है। लेकिन उत्तराखंड में लखपत सिंह रावत ऐसे इंसान हैं जिन्हें देखकर आदमखोर जानवरों को भी भागना पड़ता है। उत्तराखंड के जानेमाने शिकारी लखपत सिंह अब तक 56 के करीब आदमखोर गुलदारों को मौत के घाट उतार चुके हैं।
अब तक कई आदमखोर जंगली जानवरों को मारकर लखपत सिंह रावत राज्य के सबसे मशहूर शिकारी बन गए हैं। शिकारी लखपत सिंह रावत को सभी जानते हैं लेकिन एक शिक्षक शिकारी कैसे बना यह शायद सब नहीं जानते हों। लखपत ने पहली बार अपने छात्रों के खातिर बंदूक उठाई थी। इसके बाद जब-जब वन्यजीव आदमखोर हुए उन्हें बंदूक उठानी पड़ी।
मूल रुप से चमोली जिले के रहने वाले शार्प शूटर शिकारी लखपत सिंह रावत पेशे से शिक्षक हैं। एक आदमखोर ने एक बार रावत के स्कूल के 12 बच्चों को अपना शिकार बना लिया। जिसे आहत होकर लखपत ने गुलदार को मारने की ठान ली। सरकार ने भी आदमखोर के आतंक को देखते हुए लखपत को गुलदार को मारने की अनुमति दे दी। कई दिनों की मशक्कत के बाद लखपत रावत ने 12 बच्चों को शिकार बनाने वाले आदमखोर गुलदार को ढेर कर दिया।
चमोली जिले के लोगों को इस खतरनाक आदमखोर का ढेर करने के लिए लखपत ने बंदूक क्या उठायी, तब से जहां भी लोग आदमखोर परेशानी का पर्याय बनते उस क्षेत्र में लखपत की मौजूदगी लाजिमी सी होनी लगी। लखपत अब तक प्रदेश में आदमखोर हो चुके 56 गुलदारों को अब तक ढेर कर चुके हैं। इन दिनों लखपत अल्मोड़ा जिले के चौखुटिया में आदमखोर हो चुके गुलदार को ढेर करने की जिम्मेदारी लेकर यहां मोर्चा संभाले हुए हैं।