
योगः कर्मसु कौशलम
ये सत्तर साल के बुजुर्ग कोई सेलेब्रिटी नही हैं लेकिन जब भी मैं इन्हें देखता हूँ तो मन से सैल्यूट जरूर करता हूँ। करतार सिंह नाम के ये कर्मयोगी देहरादून जिले के डोईवाला चौराहे पर एक दुकान में सुबह से शाम तक दर्जी का काम कर अपने परिवार का पेट पालते हैं। जिस दुकान पर ये बैठे हैं वो इनकी नही है किसी नेकदिल ने अपने शटर के नीचे इन्हें बैठने को जगह दे रखी है और उस छोटी सी जगह में बड़ी खुशी खुशी ये अपने काम को अंजाम देते हैं। अर्धांगिनी के इस दुनिया से चले जाने के बाद छोटे बेटे के साथ तो रहते हैं लेकिन भरोसा अपने हुनर और पौरुष पर ज्यादा है । सत्तर साल की उमर में जब लोग जीवन से निराश हो जाते हैं उस पड़ाव पर इस शख्श की साधना किसी योगी की अनुभूति कराती है। इनकी तन्मयता देखकर आप दंग रह जाएंगे। सत्तर साल के इस नौजवान को शत- शत नमन

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