ज़िन्दगी कई बार हमे ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ी कर देती है, जहां से हमे ये दुनिया बेरंग , अनजान और वीरान लगने लगती है। मन में कुंठा उत्तपन होने लगते हैं । कई बार तो ऐसे भावनाये उठते है, की जीवन का अंत ही सारे दुखो का अंत लगने लगता है । क्या आप को भी लगता है की काश दुनिया की वास्तविकता का सामना करने के लिए, कल सुबह को आँख ही ना खुले । जी हाँ कुछ ऐसी ही मनोस्तिथि हो जाती है जब हम आप मानसिक रूप से कमजोर हो जाते है । कमजोर का तात्पर्य पागल या मेन्टल डिसऑर्डर नहीं कमजोर का मतलब यहां आत्मविश्वास की कमी , कुंठा , आदि से है । तो इस अवस्था से उभरने के लिए आप को मानसिक रूप से मजबूत होना पड़ेगा ।
इस के लिए आप को चाहिए की आप अकेलेपन से ना घबराये । जी हाँ किसी के लिए भी सबसे दुखद बात ये होता है , की उस के दुःख या सुख का भागेदारी कोई नहीं है । और अक्सर किसी को खुद का सुख दुःख का साथी बनाने के लिए हम वो बन जाते है , जो हम कभी है ही नहीं ।
दोगली और दोहरी ज़िन्दगी से अच्छा है की आप अकेले रहे, किसी के लिए खुद को ना बदले । अकेलेपन को स्वीकार कर, अकेलेपन को अपनी कमजोरी बनने ना दे ।
हर मजबूत व्यक्तित्व के पीछे एक संघर्ष भरा अतीत होता है । हर किसी का बीता कल एक सबक , अनुभव , यादे दे जाती है । कहते है ना ‘बीत गई सो बात गई ‘ कोशिश करे की खुद को अतीत से बहार निकाले , भविष्य में आप के लिए बहुत कुछ अच्छा रखा है । अतीत से सबक ले ।
जिन चीजों पर आपका जोर नहीं चल सकता उस बारे में जरुरत से ज्यादा ना सोचे । दिमाग को आराम दे । कहते हैं ना जब भी कोई मुसीबत हो तो, दो उपाय करे अगर आप के पास उस परेशानी का हल हो तो उस बारे में सोचे अन्यथा उस बारे में ना सोचे जिस का आप के पास हल ना हो क्यूंकि जिसका कोई हल नहीं उस बारे में सोचना किसी काम का नहीं है।
कभी भी दुसरो के फैसले खुद पर हावी होने ना दे । चाहे आप सफलता के शिखर पर हो या असफल , लोग तब भी बाते बनाएंगे । तो किसी के बातो पर गौर ना करे ,अक्सर नाँव तभी डूबती है जब उसमे पानी भर जाता है , ठीक उसी प्रकार एक इंसान भी तभी डूबता है जब उसके अंदर नकारात्मक विचार और बाते भर जाती है ।
और कभी भी खुद की ज़िन्दगी की , दुसरो से तुलना ना करे । सब की अपनी निजी ज़िन्दगी , निजी विचार यहां तक की ज़िन्दगी का सफर भी हर किसी का ,एक दूसरे से अलग रहता है । आप की सफलता या विफलता आप के उठाये कदम से ही तय होता है । किसी और की ज़िन्दगी से खुद की तुलना करना व्यर्थ है । इन् बातो का हमेशा ध्यान रखे । इससे ना केवल सकारात्मक विचार आएंगे साथ ही आपको सकारत्मक ऊर्जा भी मिलेगा । मानसिक तौर पर मजबूत भी रहेंगे ।