ऐसे लेते हैं हम हिंदुस्तानी अपने अपमान का बदला !

जी हाँ हम हिन्दुस्तानियो की बात ही निराली है, हमारे संस्कार ही हमारी धरोहर और पहचान है, हिंदुस्तानी जहां भी जाते है अपनी अलग ही छाप छोड़ जाते हैं , जी हाँ और जब बात आ जाए हमारे आन, बान और शान की तो फिर हम न तो किसी की सुनते है, और ना ही किसी को सुनाने में कोई कसर छोड़ते है । ऐसा ही एक वाक्या आप को बताते है, अलवर के महाराजा द्वारा लिए गए अपने ‘अपमान के बदले ‘ की । जिसे सुन कर आप भी बोल उठेंगे हम हिंदुस्तानी किसी से कम नहीं ।

बात है कई दसक पहले की , जब अलवर के महाराजा जय सिंह अपने लंदन भ्रमण पर थे , उसी दौरान महाराज जय सिंह की नजर पड़ी रोल्स रॉयस गाड़ियों के शोरूम पर, और जिज्ञासा से भरे महाराज गाड़ियों की क़ीमत और विशेषताओं के बारे में पूछ ताछ करने के लिए शोरूम में चले गए । पर शोरूम के सेल्स पर्सन ने उन्हें ग़रीब समझ कर शोरूम से बाहर का रास्ता दिखा दिया। बस फिर क्या था, बात थी हिन्दुस्तानी के मान की, महाराजा को यह बात चुभ गयी और उन्होंने अपने अपमान का बदला लेने की ठान ली । और वापस होटल में आ कर अपने मंत्री से शोरूम में खबर भिजवाया की अलवर के महाराज उनके शोरूम से कार खरीदने के इच्छुक हैं ,और राजशाही वस्त्र पहन दोबारा उसी शोरूम में गए । लेकिन इस बार शोरूम में नजारा कुछ ओर ही था शोरूम के मालिक ने उनके स्वागत में रेड कारपेट बिछवाये और सारे सेल्स पर्सन उनके सम्मान में झुक गए । और महाराज वहां से छः के छः गाड़िया खरीद कर भारत वापिस आये और उन्होंने उन् छः गाड़ियों को शहर की गंदगी साफ़ करने और कूड़ा ढोने के काम में लगवा दिया।

फिर क्या था यह बात पुरे विश्व में आग की तरह फैल गया । रोल्स रॉयस अब हास्य का विषय बन चूका था , यहां तक की अमेरिका और यूरोप में लोग इस कार की बाते इस तरह करने लगे की कार की पहचान ही शहरों की गंदकी और सफाई करने वाली कार के रूप में होने लगी । रोल्स रॉयस के प्रतिष्ठा को इतना गंभीर नुकसान हुआ की कारों की बिक्री में तेजी से गिरावट आई और कंपनी के राजस्व में भी कमी आने लगी , आखिरकार रोल्स रॉयस कंपनी के मालिकों को एहसास हुआ की उनसे क्या भूल हुई थी। रोल्स रॉयस कंपनी के मालिकों ने भारत में महाराजा को एक तार भेजा जिसमे उन्होंने माफ़ी मांगी साथ ही निवेदन किया की कार से शहर की सफाई और गंदकी उठवाने के प्रयोग को रोक दे साथ ही मुफ्त में छः नई कार देने की पेशकश की। जब महाराज को लगा की रोल्स रॉयस कंपनी के मालिकों को अपने गलती का एहसास हो चूका है तो उन्होंने कारो को शहर की गंदकी को साफ़ करने के उपयोग में लाने से मना कर दिया ।

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