उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने के आदेश के गैर-कार्यान्वयन पर सख्त रुख दिखाते हुए उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राज्य सरकार को आगे के आदेश तक कारों, एयर कंडीशनरों और फर्नीचर जैसे किसी भी आइटम को खरीदने से रोक दिया। अदालत ने सचिव (शिक्षा) से भी पूछा कि जब तक ऑर्डर लागू नहीं होता तब तक सभी नौकरशाहों के वेतन को क्यों रोका नहीं जाना चाहिए।
स्थिति को दयनीय बताते हुए अदालत ने पूछा, “जब सभी अधिकारी गद्देदार कुर्सी पर बैठते है तो छात्र क्यों न बैठे?”
अदालत ने नवंबर 2016 में उत्तराखंड राज्य की सरकार को निर्देश दिया था कि सभी सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के साथ “कम से कम न्यूनतम बुनियादी सुविधाये उपलब्ध कराई जाए।
अदालत ने सचिव (वित्त) को इसके पहले शुक्रवार को पेश होने का आदेश दिया और पुछा कि इस मामले में धन की आवंटन में देरी क्यों हुई थी। अदालत का यह आदेश देहरादून निवासी दीपक राणा द्वारा 2014 में दायर एक जनहित याचिका पर आया था, जिसमें सरकारी स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की कमी का आरोप लगाया था।
न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और आलोक सिंह की खंडपीठ ने आदेश में कहा: “चूंकि राज्य सरकार बेन्च, डेस्क, ब्लैकबोर्ड, लड़कों और लड़कियों के लिए स्वच्छ शौचालयों, पानी और छत जैसी न्यूनतम सुविधाएं प्रदान करने में बुरी तरह विफल रही है, राज्य सरकार को इस अदालत के अगले आदेश तक, शानदार कारों, फर्नीचर और एयर कंडीशनर आदि खरीदने से रोक दिया गया है। “