कई सालो बाद राजधानी में दिखी “सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति”

गुरुवार का दिन देहरादून में कई लोगो के लिए अच्छा था कई के लिए बुरा क्योंकि देहरादून में प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ ज़ोरदार अभियान चलाया, इस अभियान के दौरान घंटा घर से लेकर गांधी रोड स्थित इनामुन्ना बिल्डिंग से अतिक्रमण हटाया गया

वैसे कई लोगो के मन में आशंका थी कि कहीं अभियान शुरू होने से पहले ही स्थगित न हो जाए। यह आशंका तब और मजबूत हो गयी थी, जब बुधवार रात को व्यापारी नेताओं ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की ।

मुख्यमंत्री से मुलाक़ात के बाद व्यापारी नेताओ ने कहा की उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा है की यह अभियान मानसून के बाद चलाया जाये । लेकिन, सुबह साढ़े छह बजते ही पुलिस फाॅर्स के साथ जेसीबी सडको पर तैनाक हो चुकी थी। यह देखते ही व्यापे भी घंटाघर में इसके विरोध में आ गये ।

इससे यहां अभियान शुरू होने में डेढ़ घंटे का विलंब तो हुआ लेकिन अभियान रुका नहीं। वैसे बता दे की विरोध में भाजपा के ही तमाम व्यापारी नेताओं ने अतिक्रमण के खिलाफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और शहरी विकास मंत्री एवं जनपद प्रभारी मदन कौशिक को फोन लगाना शुरू कर दिया।

लेकिन कहते है राजनैतिक इच्छाशक्ति बड़ी चीज़ होती है और इसी इच्छाशक्ति का परिचय मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने दिया और इस अभियान से टस से मस नहीं हुए। सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति ने यह स्पष्ट कर दिया कि शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाने की राह में किसी को नहीं आने दिया जाएगा।

इसका असर यह हुआ की अभियान से जुड़े अफसर भी जोश से भर गये । व्यापारी नेताओं के भारी विरोध और तमाम आरोप लगाने के बाद भी अधिकारी तल्लीनता से अतिक्रमण पर जेसीबी व हथौड़े चलवा रहे थे। सभी छह सेक्टर में किसी भी कच्चे-पक्के और अमीर-गरीब के अतिक्रमण पर रहम नजर नहीं आया।

पहले चरण के इस अभियान में, अधिकारियों ने 374 अतिक्रमण तोड़कर ही दम लिया। बता दे कि इससे पहले भी कई दफा शहर में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया गया है, लेकिन सरकार की इच्छाशक्ति की कमी के कारण वह महज खानापूर्ति नजर आया।

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