शास्त्र, ग्रंथ में कई ऐसी ऐसे इंसानों के बारें में बताया गया है कि अगर हम इन बातों का ध्यान रखें तो दिन अच्छा होने के साथ-साथ, ज्ञान की वृद्धि और समय की बचत होगी। ऐसा ही एक ग्रंथ है रामचरितमानस जिसमें श्री राम ने जीवन में सफल होने के कई बाते बताई है। इसी में उन्होंने बताया कि हमे किस तरह के इंसान से किस तरह की बातें नहीं करनी चाहिए। जिससे कि हम हमेशा सफल रहें। जानिए ऐसे लोग और बातों के बारें में। श्री राम ने इस बात को दो श्लोको के द्वारा समझाया है।
सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीती।
सहज कृपन सन सुंदर नीती।
इस श्लोक का मतलब है कि कभी भी न करें मूर्ख से प्रार्थना, बेईमान व्यक्ति से प्यार से बात, कंजूस से दान की बात न करें।
ममता रत सन ग्यान कहानी। अति लोभी सन बिरति बखानी।।
क्रोधिहि सम कामिहि हरिकथा। ऊसर बीज बएँ फल जथा।।
इस श्लोक के अनुसार श्री राम ने बताया कि ममता में फंसे हुए व्यक्ति से न करें ज्ञान की बात, लोभी से वैराग्य की बात, गुस्सैल व्यक्ति से शांति की बात और कामी से भगवान की बात न करें।
मूर्ख व्यक्ति से न करें प्रार्थना
कभी भी मूर्ख व्यक्ति से प्रार्थना न करें। वह कभी दूसरे की प्रार्थना को समझता नहीं है, क्योंकि वह जड़ बुद्धि है। उससे कोई भी काम डरा-धमका कर ही कराया जा सकता है।
बेईमान व्यक्ति से न करें प्यार से बात
श्री राम कहते है कि कभी भी बेईमान व्यक्ति, कुटिल स्वाभाव वाले व्यक्ति से प्यार से बात न करें। वह इस भाषा को नहीं समझता है न ही वह इसके लायक है। ऐसे लोग हमेशा दूसरे को कष्ट देते है। जिससे इन्हें खुशी मिलती है। अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को संकट में डाल सकते हैं। जिसके कारण इनका कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। इसलिए इनसे कभी भी प्यार से बात नहीं करनी चाहिए।
कंजूस के कभी न कहे दान करने की बात
जो व्यक्ति अपने स्वाभाव से कंजूस हो उसे कभी भी दान करने को न कहें। वह व्यक्ति न ही किसी की मदद कर सकता है न ही किसी को कुछ भी दान दे सकता है। फिर चाहे जैसी भी परिस्थिति हो। इन लोगों से अपनी बात कहना खुद का समय बर्बाद करने जैसा है।
गुस्सैल व्यक्ति से शांति की बात
किसी भी गुस्सैल व्यक्ति से शांति की बात करना व्यर्थ है। जव वह व्यक्ति गुस्से में आता है, तो हर चीज भूल जाता है। जिसके बाद वह क्या करें। उसे इस बात का खुद ही होश नहीं रहता है। उसे अच्छी-बरा कुछ बी नहीं दिखाई देता है। इसलिए ऐसे व्यक्ति से कभी भी शांति की बात न करें।
कामी से भगवान की बात
जो व्यक्ति कामी है यानी जिसकी भावनाएं वासना से भरी हुई हैं, उससे भगवान की बात करना व्यर्थ है। कामी व्यक्ति को हर जगह सिर्फ काम वासना ही दिखाई देती है। अति कामी व्यक्ति रिश्तों की और उम्र की मर्यादा को भी भूला देते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से भगवान की बात नहीं करनी चाहिए।