बाहुबली मुख्तार अंसारी परिवार को मिला ‘हाथी’ का सहारा

mayawati11

लखनऊ: बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) में विलय हो गया. आज बीएसपी मुखिया मायावती ने इसका औपचारिक ऐलान कर दिया. इसके साथ ही मायावती ने परिवार के तीन लोगों को बीएसपी का टिकट भी थमा दिया.

इस दौरान मायावती ने साफ किया कि इन पर दर्ज ज्यादातर मुकदमे द्वेषवश दर्ज हैं और कृष्णानन्द राय हत्याकांड में शामिल होने का आज तक कोई साक्ष्य नहीं मिला है.

लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए मायावती ने कहा कि मेरी सरकार में किसी ने भी कुछ भी गलत काम करने की कोशिश की है तो मैंने उसे जेल तक भिजवाया है. सरकार बनने पर आगे भी इसी तरह की सख्ती बरती जाएगी.

मायावती ने कहा कि अपनी सरकार के दौरान मैंने शातिर अपराधियों की बुरी संगत में पड़े लोगों को भी सुधारने का पूरा प्रयास किया. यह भी ध्यान रखा कि किसी भी समाज या किसी भी धर्म के प्रभावशाली व्यक्ति के उसके किसी विरोधी द्वारा जबरदस्ती गंभीर आरोप लगाकर जेल भिजवा दिया है, तो उन्हें इंसाफ दिलाने की मेरी सरकार ने पूरी कोशिश की है.

इसका साफ उदाहरण मुख्तार अंसारी का परिवार है. इनके खिलाफ लोगों ने साजिशन मुकदमे दर्ज कराकर राजनीतिक रूप से खत्म कराने की कोशिश की.

गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी का नाम एक समय हत्या और अपहरण समेत 40 से अधिक आपराधिक मामलों में शामिल था. वह फिलहाल लखनऊ की जेल में बंद हैं.

कौन हैं मुख्तार अंसारी?
बाहुबली मुख्तार अंसारी साल 1996 में बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे. चार बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी पिछले 11 सालों से जेल में बंद है. पहली बार 1996 में बीएसपी की हाथी पर सवार होकर मऊ से विधायक बने बाहुबली मुख्तार दो बार निर्दलीय चुनाव जीते. 2012 में समाजवादी पार्टी की लहर में भी मुख्तार अपनी पार्टी के निशान पर जीत गए. मुख्तार के बड़े भाई अफ़ज़ाल अंसारी सबसे पहले राजनीति में आये. बात 1985 की है. लेफ्ट पार्टी की टिकट पर वे लगातार चार बार मोहम्मदाबाद से विधायक बने.

बलिया, मऊ, गाजीपुर इसके साथ ही वाराणसी की कुछ सीटों पर अंसारी बंधुओं का दबदबा है. कुल मिलाकर 15 से 20 सीट पर अंसारी बंधुओं की पकड़ मानी जाती है.

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