उत्तराखंड में मुख्यमंत्री हरीश रावत को “जनता के जमीनी नेता” का दर्जा दिया गया है। हरीश रावत प्रदेश के मजे हुए नेता तो है ही इसके साथ साथ उत्तराखंड में कांग्रेस की साख भी मुख्यमंत्री रावत की वजह से कायम है। पर जानकारों का मानना है कि पार्टी में उठने वाले बागी सुर ही रावत का रास्ता काटने की कोशिश में लगे है।
मौका था, उत्तराखंड के पहले अर्तराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के उद्वघाटन का। प्रशासन अधिकारियों के साथ -साथ हरीश रावत के साथ पार्टी कार्यकत्ता और उनके समर्थक उद्वघाटन समारोह में पहुंचे।मंच में सीएम का स्वागत हुआ। इस दौरान कुछ दर्शकों ने स्क्रीन पर सीएम को देखते ही मोदी-मोदी के नारे लगाना शुरू कर दिया। सीएम जब-जब स्क्रीन पर दिखे, मोदी के नारे सुनने को मिले। ये देखकर हरीश रावत के समर्थक और पार्टी कार्यकत्ता हक्का बक्का रह गए।
जानकारों का मानना है कि सीएम के कार्यक्रम में मोदी के नारे कोई साजिश की ओर इशारा कर रहे है। जबकि रावत सरकार ने प्रदेश को कई सौगाते दी है। देहरादून को तीन फ्लाईओवर के साथ पूरे प्रदेश में कई विकास कार्य और घोषणा की गई है। जिससे रावत के सर्मथकों की संख्या में ईजाफा हुआ है। राजनीति विशेषज्ञों की माने तो रावत से खार रखने वाले नेता उनकी प्रशंसा से सकपका गए है। और अंदाजे लगा रहे है कि रावत की प्रतिष्ठा आने वाले विधानसभा चुनावों में उनपर यानी विरोधियों पर भारी न पड़ जाए। इसलिए मोदी मोदी के नारों से विरोधी जनता का ध्यान भटका रहे है।
कयास तो ये भी लगाए जा रहे है कि मोदी के नारे उनके पार्टी में मौजूद उनके विरोधियों का काम भी हो सकता है। जानकारों के मुताबिक, मुख्यमंत्री को ऐसी घटनाओं की जांच करानी चाहिए ताकि जनता किसी भ्रामक अपवाह में न फंस जाए। पर मुख्यमंत्री की माने तो उन्हें ऐसी हरकतों से फर्क नही पड़ता। उनका मानना है कि जनता देख रही है कि किसने प्रदेश में विकास कार्य कराए है और कौन प्रदेश की दुर्गति करने में अमादा है। रावत के मुताबिक कांग्रेस हमेशा उत्तराखंड के विकास में कार्य करती रहेगी और विरोधी हाथ में हाथ धरे बैठे रहेंगे।