नवरात्र के छठे दिन देवी दुर्गा ( Durga )के छठे रूप देवी कात्यायनी की पूजा होती है, माता अपने भक्तो पर बहुत जल्द ही प्रसन्न हो जाती है तथा उनके हर मुराद को पूरी करती है. देवी दुर्गा ने ऋषि कात्यायन के कठिन तपश्या से प्रसन्न होकर, वरदान स्वरूप उनके घर जन्म लिया तथा ऋषि कात्यायन के नाम पर ही उनके षष्ठम रूप का नाम कात्यायनी देवी पडा.
माता कात्यायनी ( Maa Katyayani ) दुष्टों और पापियों का नाश करने वाली है. देवी कात्यायनी का पूरा शरीर सोने के समान चमकीला है तथा माता सिंह पर सवारी करती है. माता चार भुजा धारी है, इनके दाए तरफ की ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा धारण किये हुए है तथा नीचे वाले हाथ में वरमुद्रा धारण है. माता के बाए तरफ उन्होंने अपने एक हाथ से कमल का पुष्प पकड़ा है व अपने दूसरे हाथ से उन्होंने तलवार पकड़ी है
माता कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए मन्त्र का जाप
चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना.
कात्यायनी शुभं दद्या देवी दानव घातिनि.