उत्तराखंड में होगा 11 नए जिलों का गठन: हरीश रावत

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uk-mapदेहरादून: राज्यभर से उठ रही नए जिलों की मांग के प्रति अब हरीश रावत सरकार गंभीर नजर आ रही है। इस कड़ी में सरकार विधानसभा चुनाव से पहले 11 नए जिलों के गठन की घोषणा कर सकती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें से दोनों मंडलों, यानी गढ़वाल और कुमाऊं में पांच-पांच नए जिले प्रस्तावित हैं, जबकि एक जिला दोनों मंडलों के बीचोंबीच गैरसैंण को बनाया जा सकता है। नए जिलों के गठन की वजह से सरकार दो नए मंडलों (कमिश्नरी) के गठन की दिशा में भी काम कर रही है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि नए जिलों के गठन को सरकार नहीं, बल्कि राज्य की जरूरत के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद से ही नए जिलों के गठन की मांग शुरू हो गई थी लेकिन यह अंजाम के करीब पहुंची वर्ष 2011 में। तत्कालीन भाजपा सरकार के समय मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने स्वतंत्रता दिवस पर चार नए जिलों यमुनोत्री, कोटद्वार, रानीखेत और डीडीहाट के निर्माण की घोषणा की। कुछ ही दिनों बाद भाजपा सरकार में नेतृत्व परिवर्तन हुआ और भुवन चंद्र खंडूड़ी फिर मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन भाजपा सरकार ने नए जिलों के गठन का शासनादेश भी जारी कर दिया मगर फिर कांग्रेस के सत्ता में आने पर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।कांग्रेस सरकार ने तब आयुक्त गढ़वाल की अध्यक्षता में समिति बनाकर यह मसला उसके सुपुर्द कर दिया। इस समिति ने इसी वर्ष 29 फरवरी को चार नए जिलों के गठन की संस्तुति की। ये चारों जिले वही थे, जो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय घोषित किए गए थे। हालांकि इसके बाद सरकार ने इन चार के अलावा रामनगर, काशीपुर, रुड़की और ऋषिकेश को भी नया जिला बनाने की तैयारी कर ली मगर फिर गत मार्च में सियासी उठापटक के कारण संबंधित प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं लाया जा सका। जब सरकार द्वारा आठ नए जिलों के गठन की जानकारी सामने आई तो राज्य के कई हिस्सों से नए जिलों की मांग फिर शुरू हो गई। इससे सरकार ने नए जिलों के गठन पर कदम रोक लिए। हालांकि, राजनैतिक नफा-नुकसान के अलावा नए जिलों पर होने वाला भारी भरकम खर्च भी इसका एक बड़ा कारण माना गया। अब जबकि विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, सरकार कुल मिलाकर चार या आठ नहीं, बल्कि 11 नए जिलों की घोषणा की तैयारी में है। स्वयं मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसके संकेत दिए हैं। इन 11 जिलों में उक्त आठ जिलों के अलावा गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में एक-एक अन्य जिला बनाया जाना भी प्रस्तावित है। एक नया जिला गैरसैंण को बनाए जाने की तैयारी है, जिसमें दोनों मंडलों का भूभाग शामिल किया जाएगा। नए जिले अस्तित्व में आने पर राज्य में दो नई कमिश्नरी भी बनाई जानी प्रस्तावित हैं। यानी, गढ़वाल व कुमाऊं में एक-एक नई कमिश्नरी। इन कमिश्नरियों के नाम अभी तय नहीं है।

‘नए जिलों को सरकार नहीं, बल्कि राज्य के संदेश के रूप में देखा जाना चाहिए। लगभग सोलह साल पहले उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड का निर्माण किया गया, लेकिन तब से लेकर अब तक नए राज्य की आंतरिक इकाइयों में कोई बदलाव नहीं हुआ, जबकि यह छोटे राज्य के परिप्रेक्ष्य में सुशासन के लिए बहुत जरूरी है। सरकार 11 नए जिलों के गठन पर विचार कर रही है। दोनों मंडलों में 10 जिलों के अलावा एक जिला भौगोलिक रूप से बीचोंबीच, दोनों मंडलों के कुछ हिस्सों को मिलाकर बनाया जा सकता है। नए जिले बनने पर दो नई कमिश्नरी का भी गठन किया जा सकता है।’

उत्तराखंड मुख्यमंत्री, हरीश रावत

 

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