आज तक आप सब ने स्कूलों और दफ्तरों में झंडा फेहराते तो कई बार देखा और सुना होगा पर क्या आज तक अपने किसी मंदिर में झंडा फेहराते हुए देखा या सुना है। अक्सर मंदिरों में हम सबने धर्मध्वजा ही देखा है किसी भी मंदिर में राष्ट्रध्वज कभी नहीं देखा।
आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जहाँ धर्मध्वजा के साथ-साथ हर स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रध्वज फहराने की परंपरा है।रांची रेलवे स्टेशन से लगभग सात किलोमीटर दूर करीब 26 एकड़ में फैला और 350 फुट की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ी बाबा मंदिर शायद इकलौता ऐसा मंदिर होगा जहा परंपरागत हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी पर राष्ट्रध्वज फेहराया जाता है। यह मंदिर भक्तिभाव के संग राष्ट्रप्रेम का भी संदेश देता है। इस मंदिर में राष्ट्रीय ध्वज को धर्मध्वज से ऊपर का दर्जा देने की यह परंपरा 14 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि से ही शुरू हो गई थी। तब से हर वर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी को मंदिर में सुबह की मुख्य पूजा के बाद राष्ट्रगान के साथ तिरंगा फहराया जाता रहा है। कहते है इस मंदिर का पुराना नाम टिरीबुरू था, जिसे बदलकर ब्रिटिश सरकार ने फांसी टुंगरी रख दिया क्योंकी यहाँ ब्रिटिश सरकार की नजरो में जो देशद्रोही होते थे उन्हें फांसी लगाई जाती थी। स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े अनेक क्रांतिकारियों को अंग्रेज सरकार ने यहां फांसी पर चढ़ा दिया था।ऐसे में यह शहीदों की शहादत का प्रतीक है। इनकी याद में राष्ट्रीय झंडा फहराकर उन्हें सम्मान प्रदान किया जाता है।
आश्चर्यजनक बात तो ये है की सिर्फ राष्ट्रीय पर्वों के दिन इस मंदिर में हर धर्म के लोग इस प्रथा को आगे बढ़ाने के लिए भारी संख्या में आते है। सरकार अगर पहाड़ी मंदिर पर समुचित ध्यान दे तो यह न सिर्फ एक प्रमुख धार्मिक केंद्र के तौर पर विकसित होगा बल्कि राष्ट्रीय एकता की भी अनूठी मिसाल पेश करेगा।