देहरादून – केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने भूस्खलन से प्रभावित सड़कों की समस्या को हल करने के लिए विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन के कारण सड़कें अक्सर बंद हो जाती थीं, लेकिन इस रिपोर्ट के जरिए आने वाले समय में इन समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
मंत्रालय ने स्वीकार किया कि पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन का मुख्य कारण उचित जोन की पहचान न होना और उस हिसाब से उपाय नहीं किए जाना है। इस समस्या को हल करने के लिए आईआईटी दिल्ली के प्रो. डॉ. जेटी साहू की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था, जिसमें सीएसआईआर-सीआरआरआई के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. पीएस प्रसाद सदस्य सचिव के रूप में शामिल थे।
समिति ने भूस्खलन स्थल पर मिट्टी, चट्टान, ढलान, भू-वैज्ञानिक संरचनाओं, वर्षा, और मलबे के प्रवाह आदि के बारे में व्यापक जांच की। इन कारकों का अध्ययन करने के बाद, रिपोर्ट में भूस्खलन से निपटने के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं, जैसे ढलान की बेंचिंग, रिटेनिंग वॉल, मिट्टी की कील, ग्राउंड एंकर, जियोसिंथेटिक मैट, बायोटेक्निकल ढलान संरक्षण, और सतह संरक्षण तकनीकें।
समिति ने तीन चरणों में निरीक्षण करने की योजना बनाई है
1. भूस्खलन क्षेत्र का निरीक्षण – ढलान का एंगल, ऊंचाई, रिसाव के स्रोत, और रास्ते की बाधाओं का मूल्यांकन किया जाएगा।
2. टोपोग्राफी सर्वेक्षण – लिडार या समकक्ष तकनीकों से प्रभावित क्षेत्र की उच्च गुणवत्ता वाली जानकारी इकट्ठा की जाएगी।
3. भू-वैज्ञानिक और हाइड्रोलॉजिकल जांच – क्षेत्र की भू-तकनीकी, जियोमॉर्फोलॉजी, और जलवायु परिस्थितियों का मूल्यांकन किया जाएगा।
इस रिपोर्ट को लागू करने से उत्तराखंड में भूस्खलन की समस्याओं को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकेगा, और सड़कों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाएगा।
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