30 दिसंबर को मूल निवास और भू-कानून के मुद्दे पर महापंचायत, जनप्रतिनिधियों को किया गया आमंत्रित।

टिहरी गढ़वाल/कीर्तिनगर – मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने अब प्रदेश के बड़े शहरों से निकलकर गांव-गांव तक जागरूकता फैलाने का फैसला लिया है। समिति का उद्देश्य 1950 के मूल निवास और भू-कानून के मुद्दे को लेकर आंदोलन को तेज़ करना है। इसके तहत आगामी 30 दिसंबर को कीर्तिनगर में महापंचायत का आयोजन किया जाएगा।

रविवार को पत्रकारों से बातचीत में समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी ने कहा कि अब तक प्रदेश के बड़े शहरों में मूल निवास और भू-कानून को लेकर रैलियां की गई हैं, लेकिन अब यह समिति गाँव-गाँव तक लोगों को जागरूक करने का अभियान चलाएगी। 30 दिसंबर को कीर्तिनगर ब्लॉक से इस अभियान की शुरुआत की जाएगी। महापंचायत में हर गांव से एक-एक जनप्रतिनिधि को आमंत्रित किया गया है, और इसमें प्रदेश स्तरीय संघर्ष समिति के पदाधिकारी भी शामिल होंगे।

कीर्तिनगर के निवर्तमान ग्राम प्रधान संगठन के अध्यक्ष सुनय कुकशाल ने कहा कि ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों का इस मांग के प्रति पूर्ण समर्थन है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार भू-कानून पर राय ले रही है, लेकिन मूल निवास 1950 के मुद्दे का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है।

कांग्रेस नेता रामलाल नौटियाल ने कहा कि ऋषिकेश से बदरीनाथ तक बाहरी लोग बड़ी संख्या में जमीनें खरीद रहे हैं। अगर सरकार ने जल्द ही इस पर ठोस कदम नहीं उठाया तो प्रदेश के मूल निवासियों को अपने ही राज्य में दूसरे दर्जे के नागरिक बनकर रहना पड़ेगा।

पूर्व प्रधान रामेश्वर लखेडा और सामाजिक कार्यकर्ता सीएम चौहान ने कहा कि वर्तमान में पहाड़ी लोगों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। अगर बाहरी लोग इसी तरह जमीनों की खरीद-फरोख्त करते रहे तो इसका हमारी लोक संस्कृति और बोली पर भी प्रतिकूल असर पड़ेगा।

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