देहरादून में लगा उत्तराखंड का पहला स्मार्ट मीटर, बिजली की खपत और बचत की मिलेगी जानकारी।

देहरादून – राजधानी देहरादून में प्रदेश का पहला स्मार्ट मीटर लगा दिया गया। गढ़वाल मंडल में काम संभाल रही जीनस कंपनी के अधिकारियों और यूपीसीएल के अधिकारियों ने मिलकर जीएमएस रोड के निकट हरिपुरम गेट पर लगे ट्रांसफार्मर में यह मीटर लगाया।

जल्द ही उपभोक्ताओं के घरों पर भी स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने का काम शुरू होगा। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की योजना के तहत उत्तराखंड के 15,84,205 घरों में 2025 तक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाने हैं। प्रदेश के 38,016 ट्रांसफार्मर और 33 केवी के 379 और 11 केवी के 1254 फीडरों पर स्मार्ट मीटर लगेंगे।

इसके लिए गढ़वाल मंडल में जीनस कंपनी और कुमाऊं मंडल में अडाणी कंपनी को ठेका मिला हुआ है। जीनस कंपनी के कंट्रोल रूम का 15 अगस्त को यूपीसीएल के एमडी अनिल कुमार ने लोकार्पण किया था। बुधवार को कंपनी ने प्रदेश का पहला स्मार्ट मीटर लगाया।

कंपनी के अधिकारियों ने बताया, गढ़वाल मंडल में करीब 8,88,237 सिंगल फेज यानी आम उपभोक्ताओं के घरों पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगेंगे। 67,324 थ्री फेज स्मार्ट मीटर लगेंगे। इनमें 4500 स्मार्ट मीटर डीटी के और 1565 एचटी फीडर में लगाए जाएंगे। ट्रांसफार्मर पर बिजली की कितनी मांग और कितनी उपलब्धता है, इस मीटर से आसानी से पता चल सकेगा। कहा, अगर किसी ट्रांसफार्मर पर ओवर लोड हो रहा होगा तो समय रहते यूपीसीएल के अधिकारी वहां अधिक क्षमता का ट्रांसफार्मर लगा देंगे, जिससे ट्रांसफार्मर फुंकने से बच जाएगा।

बिजली की खपत और बचत पता चलेगी

यूपीसीएल के निदेशक परिचालन एमआर आर्य ने बताया, इससे बिजली की खपत की जानकारी घंटावार, दिनवार, वर्षवार आसानी से मिल सकेगी। उपभोक्ताओं की बिजली अगर ज्यादा फुंकेगी तो इसकी जानकारी भी मिल जाएगी। बिजली आपूर्ति व मांग का आंकड़ा भी आसानी से मिलेगा। बिजली चोरी पर भी काफी हद तक लगाम लग जाएगी। बिलिंग की दिक्कतें दूर होंगी और विवाद भी खत्म होंगे। लोगों को बिजली बचाने के प्रति प्रेरणा भी मिलेगी। 10 लाख की आबादी ऐसी है, जिन तक इंटरनेट कनेक्टिविटी आसान नहीं है।

लिहाजा, वहां बिना इंटरनेट वाले प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे। प्रति मीटर आने वाले खर्च में से 22.5 प्रतिशत पैसा केंद्र से ग्रांट के तौर पर मिलेगा। बाकी पैसा मीटर लगाने वाली कंपनी को यूपीसीएल की ओर से प्रति मीटर प्रतिमाह के हिसाब से 10 साल तक दिया जाएगा। उपभोक्ताओं को इस मीटर के लिए अलग से कोई खर्च नहीं देना है।

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