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उत्तराखंड में बांधों की सुरक्षा पर की जाएगी मॉक ड्रिल, जांची जाएगी सेंसर और सायरन की कार्यप्रणाली।

देहरादून – उत्तराखंड में बांध बैराज की सुरक्षा व्यवस्थाओं की जांच के लिए आपदा प्रबंधन विभाग जल्द मॉक ड्रिल कराएगा। इसके लिए सेंसर और सायरन की कार्यप्रणाली जांची जाएगी, आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास सचिव रंजीत कुमार ने इसके आदेश दे दिए है।

उन्होंने सभी बांध परियोजनाओं के प्रतिनिधियों से कहा कि उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण संघ समन्वय के लिए नोडल अफसर नियुक्त करें।

सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से जूझ रहे प्रदेश के ग्लेशियरों का भी अध्ययन शुरू किया जा रहा है। राज्य आपदा प्रबंधन पुनर्वास विभाग ग्लेशियर झीलों के साथ ग्लेशियर का अध्ययन करेगा।

उन्होंने बताया जल्द यूएसडीएमए के विशेषज्ञों का दल ग्लेशियर झीलों का अध्ययन करने के लिए रवाना होगा। इसके साथ ही दूसरे चरण में ग्लेशियरों के अध्ययन के लिए भी विशेष दल भेजा जाएगा। मालूम हो कि जलवायु परिवर्तन से हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। उत्तराखंड में 968 ग्लेशियर 2884.01 पर किलोमीटर दायरे में फैले है। वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय में ग्लेशियरों के पिघलने की दर 5 से 20 मीटर प्रति वर्ष है। हिमालय राज्य में 188 ग्लेशियर झीलों को आपदा के प्रति संवेदनशील माना गया है इसमें 13 झीलें उत्तराखंड में है। इनको जोखिम के आधार पर A, B और C श्रेणी में बांटा गया है। अति संवेदनशील ए श्रेणी की झीलों में एक वसुधारा ताल चमोली में है। पिथौरागढ़ में दो झीलें हैं उनकी स्थिति का भी सर्वे होगा।

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