देहरादून – देशभर में तेजी से बढ़ती गर्मी-लू की स्थिति को संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जा रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं तेज गर्मी और समय के साथ बढ़ते तापमान के दुष्प्रभाव सिर्फ हीटस्ट्रोक और बेहोशी तक ही सीमित नहीं हैं, शरीर के विभिन्न अंगों पर भी इसके नकारात्मक असर हो सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, गर्मी से बचाव करते रहना सभी लोगों के लिए जरूरी है। जिन लोगों को पहले से ही डायबिटीज, हृदय रोग, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी है उनके लिए बढ़ते तापमान के और भी गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि उच्च तापमान के संपर्क में आने से बचना जरूरी है। इससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव बढ़ सकता है, याददाश्त में खराबी हो सकती है, निर्जलीकरण के कारण ऊर्जा में कमी और बेहोशी जैसी दिक्कतें बढ़ जाती हैं। मस्तिष्क से लेकर हृदय फेफड़ों, त्वचा और किडनी की सेहत भी प्रभावित हो सकती है।
विभिन्न अंगों पर बढ़ते तापमान का असर
बढ़ते तापमान के कारण शरीर के विभिन्न अंगों पर किस तरह से नकारात्म असर हो सकता है, आइए जानते हैं?
मस्तिष्क की समस्या
वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक गर्मी के संपर्क में आने से भ्रम या स्मृति हानि जैसी संज्ञानात्मक शिथिलता का खतरा हो सकता है। शोध से पता चलता है कि यह कुछ मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों को भी बिगाड़ सकती है।
हृदय पर असर
अत्यधिक गर्मी हृदय पर दबाव डालती है, जिससे उसे अधिक मेहनत करनी पड़ती है। यदि आपका हृदय प्रणाली शरीर के आंतरिक तापमान को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता है तो गर्मी से थकावट या हीट स्ट्रोक होने का भी खतरा हो सकता है।
फेफड़ों की कार्यक्षमता पर असर
तेज गर्मी में सांस लेने से फेफड़ों की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो सकती है। पहले से ही फेफड़ों की समस्याओं के शिकार लोगों को गर्मियों में सूजन बढ़ने के साथ अस्थमा या सीओपीडी जैसी बीमारियों का खतरा हो सकता है।
त्वचा पर असर
अत्यधिक गर्मी की स्थिति में त्वचा पर दाने हो सकते हैं। उच्च गर्मी और आर्द्रता की स्थिति में शरीर को खुद को ठंडा करने के लिए ठीक से पसीने का उत्पादन नहीं कर पाता है, जिससे त्वचा के लाल होने-गर्म होने के साथ तमाम प्रकार के त्वचा विकारों का जोखिम बढ़ सकता है।
किडनी रोगों का खतरा
यदि आप अत्यधिक गर्मी के संपर्क में रहते हैं और इसके कारण निर्जलीकरण के शिकार हो जाते हैं, तो इससे आपके किडनी की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो सकती है। किडनी के लिए सामान्य रूप से अपशिष्टों को फिल्टर कर पाना कठिन हो जाता है, जिसके कारण कई प्रकार की गंभीर बीमारियों के जोखिम बढ़ने का खतरा हो सकता है।
मस्तिष्क की बीमारियों का खतरा
तापमान की समस्या, विशेषतौर पर उच्च तापमान के कारण मस्तिष्क की सेहत पर गंभीर असर हो सकता है। द लैंसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक हालिया शोध में पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ती तेज गर्मी के कारण माइग्रेन और अल्जाइमर जैसी मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों के शिकार लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलेज लंदन के इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी के प्रमुख शोधकर्ता संजय सिसोदिया ने बताया कि तापमान में परिवर्तन (कम और अधिक दोनों) मस्तिष्क के लिए हानिकारक है।
अध्ययन में क्या पता चला?
साल 1968 से 2023 के बीच दुनियाभर से प्रकाशित 332 पत्रों की समीक्षा करते हुए अध्ययन में स्ट्रोक, माइग्रेन, अल्जाइमर, मेनिनजाइटिस, मिर्गी और मल्टीपल स्केलेरोसिस सहित 19 विभिन्न तंत्रिका तंत्र स्थितियों पर नजर रखी गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि उच्च तापमान या हीटवेव के कारण स्ट्रोक के मामले बढ़ने, विकलांगता या मृत्यु का खतरा हो सकता है।
इतना ही नहीं पहले से ही डिमेंशिया जैसी समस्याओं से पीड़ित लोग अत्यधिक तापमान के प्रति संवेदनशील होते हैं और दीर्घकालिक रूप से इसका मस्तिष्क की कार्यक्षमता पर गंभीर असर हो सकता है।
स्रोत और संदर्भ
अस्वीकरण: Vision2020news.com की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।