राज्य बनने के बाद से लेकर आज तक 17 सालों में प्रदेश ने कई मुख्यमंत्री और कई सरकारें देखी, लेकिन आज तक सरकारे प्रदेश को स्थायी राजधानी नही दिला पाई। आज भी प्रदेश की जनता जल जंगल जमीन के नाम पर खुद को ठगा हुआ महसूस करती है जिस पृथक राज्य के लिए लोगों ने लाठियां खाई मुकदमे झेले उस प्रदेश की राजधानी आज तक सरकार निश्चित नही कर पाई है।
वहीं बीजेपी की त्रिवेंद्र सरकार 7 दिसम्बर से 13 दिसम्बर तक गैरसैण में अपना पहला विधानसभा सत्र आयोजित करने जा रही है तो भला विपक्ष भी क्यों पीछे रहे। विपक्ष ने भी सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर ली है। सरकार के आठ महीनों का लेखा जोखा को लेकर विपक्ष सरकार को धेरने का प्रयास भरसक करेगी। जिसके चलते इस बार ये सत्र हंगामेदार होने वाला है। विपक्ष भले ही कमजोर ही क्यों न हो लेकिन विपक्ष के तेवर साफ बताते हैं कि वो सत्र में इस बार सरकार को आसानी से नही छोड़ने वाले नहीं है।
उत्तराखंड के संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि गैरसैंण हमारी संवेदनाओं और भावनाओं से जुड़ा हुआ है. गैरसैंण राजधानी का विषय बहुत दिनों से बना हुआ है. राज्य आंदोलन कारी इसे महत्वपूर्ण स्थल के रूप में मानते आए हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए भाजपा ने लोगों की भावना का सम्मान करते हुए साल में एक बार विधानसभा सत्र गैरसैंण में करने की पहल की है।
विधानसभा सत्र को लेकर विपक्ष ने अपने तेवर तल्ख कर लिये हैं. सदन के भीतर भी गरमा-गर्मी तय है, स्थाई राजधानी के सवाल पर सरकार को असहज होना पड़ सकता है। नेता प्रतिपक्ष इंदिरा ह्रदयेश का कहना है कि हम विधानसभा सत्र में रोजगार, कानून व्यवस्था, सहकारिता, किसानों को ऋण, पलायन, शिक्षा व्यवस्था, आदि कई मुद्दो पर सरकार से जवाब तालाब करेंगे।