श्रावण माह का सबसे पुण्यदायक दिन शिवरात्रि 30 जुलाई को है। इसे सावन शिवरात्रि कहा जाता है। इस दिन शिव भक्त महादेव का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना करते हैं। शास्त्रों के अनुसार सावन शिवरात्रि पर जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। माता पार्वती को समझाते हुए भगवान् शिव कहते हैं, कि प्रियतमे! पुण्य कर्मों के करने से ही वंश कि बृद्धि होती है। पुण्य कर्म करने से ही जीव कीर्तिवान होता है और इसी पुण्य कर्म में लगे रहने से शरीर के सभी रोग नष्ट हो जाते हैं, ऐसा सभी शास्त्रों का मानना है।
पुण्य वृद्धि का पावन श्रावण मास
श्रावण माह का एक-एक पल पुण्य एवं फलदायी माना गया है, किन्तु इस माह की शिवरात्रि का दिन कुछ अधिक महत्व रखता है। शास्त्र कहते हैं कि ‘अवश्यमेव भोक्तव्यम कृते कर्म शुभाशुभं।’ अर्थात् मनुष्य को अपने द्वारा किए हुए पाप-पुण्य जनित कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। जीव पाप करके भी तभी तक सुखी रह पाता है, जब तक कि उसके द्वारा संचित पुण्य कर्मों का कोष खाली नहीं हो जाता। कोष खाली होते पाप कर्मों का फल मिलने लगता है, फिर जीव इतना परेशान हो जाता है कि उसे बचने का कोई भी मार्ग दिखाई नहीं देता। श्रावण का माह इसी पुण्य की पुनः वृद्धि करने का वरदान है।
श्रावण में शिव की पूजा का महत्व
स्वयं भगवान शिव माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और अपने शिवगणों सहित पूरे माह पृथ्वी पर विराजते हैं। शिव जब जीव का संहार करते हैं, तो महाकाल बन जाते हैं, यही शिव महामृत्युंजय बनकर उसी जीव की रक्षा भी करते हैं, तो शंकर बनकर जीव का भरण-पोषण भी करते हैं, यही योगियों के सूक्ष्मतत्व महारूद्र बनकर योगियों-साधकों जीवात्माओं के अंतस्थल में विराजते हैं और रूद्र बनकर महाविनाश लीला भी करते हैं, अर्थात स्वयं शिव ही ब्रह्मा और विष्णु के रूप में एकाकार देवो के देव महादेव बन जाते हैं। इन्ही महादेव को प्रसन्न करने के लिए अच्छे अवसर के रूप में मास शिवरात्रि का पावन पर्व 30 जुलाई को मनाया जाएगा।
मनोकामना के अनुसार करें शिव का पूजन
शिवरात्रि के दिन शिव कि आराधना पंचामृत से करें तो अति उत्तम रहेगा। शिव की ही ऐसी पूजा है जिसमे केवल ‘पत्रं-पुष्पं,फलं-तोयं’ अर्थात् पत्र, पुष्प, फल और जल मात्र से पूजा करके पूर्ण फल प्राप्त किया जा सकता है, इसलिए इस दिन आपके पास इसमें से जो भी सामग्री है आप उससे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान शिव कि पूजा करें। पूजन के दौरान ‘ॐ नमः शिवाय’ का जप करते रहें। साथ ही ‘ॐ नमो भगवते रुद्राय’ मंत्र का भी जप कर सकते हैं। ऐसा जपते हुए बेल पत्र पर चन्दन या अष्टगंध से राम-राम लिख कर शिव पर चढ़ाएं। पुत्र पाने कि इच्छा रखने वाले शिव भक्त मंदार, पुष्प से,घर में सुख शान्ति चाहने वाले धतूरे के पुष्प अथवा फल से, शत्रुओं पर विजय पाने वाले अथवा मुकदमों में सफलता कि इच्छा रखने वाले लोग भांग से शिव की पूजा करें तो सभी तरह की पराजय की आशंकाएं समाप्त हो जाएंगी।
इस पूजा से महादेव देंगे मोक्ष का महावरदान
संपूर्ण कष्टों और पुनर्जन्म से मुक्ति चाहने वाले मनुष्य को गंगा जल और पंचामृत चढ़ाते हुए ‘ॐ नमो भगवते रुद्राय। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नों रुद्रः प्रचोदयात।’ मंत्र को पढ़ते हुए सभी सामग्री जो भी यथा संभव हो, उसे लेकर समर्पण भाव से शिव को अर्पित करें। श्रद्धा भाव और विश्वास के साथ जो भी पूजन आप करेंगे, उससे प्रसन्न होकर महादेव आपकी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे।