देहरादून: त्यूणी तहसील क्षेत्र के ग्राम डिरनाड़ निवासी अमिता (25) पत्नी करण सिंह को रविवार सुबह प्रसव पीड़ा होने पर परिजन उसे नजदीकी अस्पताल राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय (एसएडी) भटाड़-कथियान ले गए, लेकिन अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर है, न कोई फार्मेसिस्ट। ऐसे में परिजनों को उसे 108 एंबुलेंस से 40 किमी दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) त्यूणी ले जाना पड़ा। लगभग ढाई घंटे का सफर तय करने के बाद दोपहर 12 बजे के आसपास वे त्यूणी पहुंचे और पीड़ा से कराहती महिला को अस्पताल में भर्ती कराया। हालत बिगड़ने पर अस्पताल प्रशासन ने उसे विकासनगर हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया। परिजनों ने 108 एंबुलेंस से ही उसे विकासनगर अस्पताल ले जाने की बात कही तो एंबुलेंस चालक ने गाडी में तेल न होने की बात कहते हुए जाने से इन्कार कर दिया। ऐसे में लाचार परिजन जैसे-तैसे प्राइवेट वाहन से महिला को लेकर विकासनगर रवाना हुए, लेकिन दुर्भाग्य कि त्यूणी से 15 किमी आगे अटाल व अणू के बीच प्रसव पीड़िता की हालत बिगड़ गई और उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
यह हाल तब है, जब प्रदेश सरकार ने जच्चा-बच्चा मृत्युदर में कमी लाने के लिए बाकायदा अभियान चलाया हुआ है और सभी प्रसव अस्पतालों में कराने पर जोर दिया जा रहा है, जबकि सच ये है कि प्रदेशभर में सिर्फ 32 फीसद डॉक्टर ही तैनात हैं और इनमें से भी अधिकांश सुविधाजनक स्थानों पर तैनाती लिए हुए हैं। भटाड़ में राजकीय एलोपैथिक चिकित्सालय पिछले चार माह से वार्ड ब्वाय के भरोसे चल रहा है। वहां न तो डॉक्टर है, न फार्मेसिस्ट, जबकि अस्पताल में डॉक्टर, फार्मेसिस्ट, एएनएम व वार्ड ब्वाय के एक-एक पद स्वीकृत हैं। स्थानीय ग्रामीण विरेंद्र शर्मा व सतपाल राणा ने बताया कि इस अस्पताल पर शिलगांव क्षेत्र के 11 गांवों की सात हजार की आबादी निर्भर है। बावजूद इसके शासन-प्रशासन को उनकी कोई सुध नहीं। देहरादून के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. वाईएस थपलियाल ने बताया कि यह गंभीर मामला है, इसकी जांच कराई जाएगी। देखा जाएगा कि किन परिस्थितियों में गर्भवती महिला को रेफर किया गया। साथ ही भटाड़ में चिकित्सक व फार्मेसिस्ट में से किसी एक की तैनाती सुनिश्चित कराई जाएगी।