सैफ करीना के तैमूर ने सोशल मीडिया में मचायी खलबली,जानिए तैमूर का इतिहास….

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सैफ और करीना के नवजात शिरूाु के बारे में जैसे ही लोगों को पता चला,उनके फैन्स ने उन्हें शुभकामनाए देना शुरू कर दिया। सैफ-करीना ने जैसे ही अपने बेटे का नाम तैमूर रखा ये नाम आम लोगों की जुबां पर आ गया। जिसे सुनकर उनके कुछ चाहने वाले नाराज भी हो गए। और सोशल मीडिया में अपनी भड़ास निकालने लगे। आइए हम बताते है कि आखिर क्यों लोग तैमूर नाम से भी चिढ़ते है…

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दरअसल तैमूर एक अरबी भाषा का शब्‍द है जिसका मतलब होता है, ‘लोहा।’ लेकिन इस नाम के साथ इतिहास का एक बड़ा अध्‍याय भी जुड़ा है। तैमूर को दुनिया एक क्रूर मुगल शासक के तौर पर जानती है। पहला मुगल शासक बाबर तैमूर लंग के वंश से था। तैमूरलंग का जन्‍म अप्रैल 1336 में ट्रांसोजियाना में हुआ था इसे अब उजबेकिस्‍तान के नाम से जाना जाता है। तैमूर को उसके समय का सबसे मजबूत मुस्लिम शासक माना जाता है। वह खुद को ‘स्‍वॉर्ड ऑफ मुस्लिम’ कहता था। वह एक मंगोल शासक था।

पूरी दुनिया को जीतना चाहता था तैमूर

तैमूर मंगोल विजेता चंगेज खां की तरह पूरी दुनिया को जीतना चाहता। जैसे चंगेज खान ने मंगोलिया से निकलकर आधे यूरेशिया पर अपना कब्जा किया था, तैमूर भी उसी तरह से दुनिया में अपनी बादशाहत कायम करना चाहता था। वह सिकंदर की तरह दुनिया को जीतने की ख्‍वाहिश रखता था।

तैमूर ने मंगोल क्षेत्र में बसे लोगों को इस्‍लाम धर्म कुबूल करने के लिए मजबूर किया था। बताया जाता है कि तैमूर ने अपने सैन्य अभियान के तहत एक करोड़ 70 लाख लोगों को मौत के घाट उतार दिया।

क्रूर तैमूर ने लूटपाट के दौरान जवानी में ही अपने दाएं हाथ की उंगलियां गंवा दी थी। इस वजह से वह सिर्फ एक हाथ से ही भारी-भरकम तलवार से लड़ता था। एक जंग के दौरान उसका दाहिना पैर भी ख़राब हो गया था। यही कारण था कि 14वीं शताब्दी में तैमूर के दुश्मन माने जाने वाले तुर्की, बगदाद और सीरिया के शासक उसे ‘लंगड़ा’ बुलाते थे। तैमूर लंगड़ा था लेकिन उसकी क्रूरता में कोई कमी नहीं थी। तैमूर लंग का साम्राज्य पश्चिम एशिया से लेकर मध्य एशिया होते हुए भारत तक फैला था। तैमूर ने अपनी सेना को आदेश दिया हुआ था कि जो भी उसे मिले उसे मार दिया जाए। तैमूर की सेना ने पुरुषों को मार दिया तो महिलाओं और बच्‍चों को बंदी बनाया।

 

आतंक के लिए अभियान शुरू

1369 में समरकंद के मंगोल शासक के मरने के बाद तैमूर ने उसकी गद्दी पर हथिया ली और अपने आतंक के लिए अभियान शुरू कर दिया। कहते हैं कि उसने चंगेज खां की ही तरह अपनी सेना तैयार की उसकी ही तरह क्रूरता दिखानी शुरू की। 1380 और 1387 के बीच तैमूर ने खुरासान, सीस्तान, अफगानिस्तान, फारस, अजरबैजान और कुर्दीस्तान आदि पर आक्रमण कर उन्हें अपना गुलाम बना लिया।1393 में उसने बगदाद को लेकर मेसोपोटामिया पर अपना शासन कायम किया।

1398 की शुरुआत में तैमूर ने पीर मोहम्‍मद जो कि उसका पोता था उसके साथ भारत पर हमले की तैयारी की। उसने इसके लिए मुल्‍तान में अपना ठिकाना बनाया और छह महीने बाद मुल्‍तान पर भी कब्‍जा कर लिया। अप्रैल 1398 में वह भारत की ओर बढ़ा और सिंधु, झेलम तथा रावी नदी को पार कर भारत आया। कई जगह से लोगों को मारता हुआ तैमूर दिसंबर के पहले हफ्ते दिल्ली के पास पहुंचा। यहां पर उसने एक लाख हिंदू कैदियों को कत्ल करवाया। पानीपत के पास निर्बल तुगलक सुल्तान महमूद ने 17 दिसम्बर को 40,000 पैदल 10,000 अश्वारोही और 120 हाथियों की एक विशाल सेना लेकर तैमूर का मुकाबिला किया लेकिन बुरी तरह पराजित हुआ।

इसके अगले दिन तैमूर दिल्ली में दाखिल हुआ और 5 दिनों तक दिल्‍ली को लूटता रहा। कहते हैं कि तैमूर के हमले के बाद दिल्‍ली को सुधरने में कई सदियां लग गई। वह अपने साथ बंदी बनाई गई महिलाओं और कारीगरों को भी ले गया। भारत से जो कारीगर वह अपने साथ ले गया उनसे उसने समरकंद में अनेक इमारतें बनवाईं, जिनमें सबसे प्रसिद्ध उसकी अपनी जामा मस्जिद है जिसे शाख-ए-जिंद मस्जिद के नाम से भी जानते हैं।

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