सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के पैंतरे से चित्त हुई कांग्रेस, मचा हड़कंप!

देहरादून।  सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की लोकप्रियता और उनके पैंतरों से लगातार पटकनी खा रही कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है। दूसरी ओर देहरादून से लेकर दिल्ली तक भाजपा कार्यकर्ताओं की बांछे खिली हुई है जिसका श्रेय उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को जाता है। एनएच घोटाला हो या सिडकुल प्रकरण, पीडब्ल्यूडी, एमडीडीए प्रकरण हो या ऊर्जा निगम के घोटाले इन तमाम घोटालों पर मुख्यमंत्री के सख्त रुख से अधिकारी तो परेशान है ही, कांग्रेस के कार्यकाल में हुए कामों से कांग्रेस नेताओं में भी काफी हड़बड़ाहट है। लगातार उठ रही उंगलियों से कांग्रेस नेता परेशान हो रहे हैं, जो यह बताने को काफी है कहीं न कहीं कुछ दाल में काला है। कांग्रेस नेताओं के हाथ आलोचना के मुद्दे ही नहीं लग रहे है वहीं दूसरी ओर जाँच के दायरे में कौन कौन नेता आएंगे इससे भी उनकी चिंता बढ़ गई है।

भाजपा नेता एवं मीडिया प्रभारी डॉ. देवेंद्र भसीन ने इस संदर्भ में कहा है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा यह साफ़ किए जाने के बाद है कि एनएच 74 घोटाले की जाँच पूरी होने तक एसआईटी प्रमुख डॉ सदानंद दाते को राज्य से केंद्र के लिए रीलीव नहीं किया जाएगा, कांग्रेस नेता परेशान हो उठे हैं । एक तो इससे मुख्यमंत्री का भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ सख़्त रूख पुन: सिद्ध हुआ हुआ है वहीं कांग्रेस नेता दो और बातों से चिंतित हैं । प्रथम तो यह कि मुख्य मंत्री के बयान के बाद कांग्रेस के हाथ से सरकार के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी का मुद्दा निकल गया है और दूसरा उन्हें सिर पर लटक रही जाँच की तलवार चिंता में डाल रही है । अब जाँच में कुछ सफ़ेदपोशों के नाम आने की सम्भावना के समाचारों से उनके चेहरे पर परेशानी की लकीरें पढ़ी जा सकती हैं।
डॉ. भसीन ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा एमडीडीए का पिछले पाँच वर्ष के कार्यों का विशेष ऑडिट कराने का जो निर्णय लिया है वह भी महत्वपूर्ण है । यह समयावधि मुख्यत: कांग्रेस के शासन काल की है। इस दौरान देहरादून का जिस रूप में स्वरूप बिगड़ा और विभिन्न प्रकार के क्रिया कलाप हुए वे हमेशा चर्चा में रहे । उस पड़ताल से बहुत कुछ ऐसा आने की सम्भावना है जो कई महत्वपूर्ण लोगों को दिक्कत में डाल सकता है।
डॉ. भसीन ने कहा कि एनएच मामले पर कांग्रेस नेता सीबीआई जाँच का जो मुद्दा एक साल से अधिक समय से उठाते रहते हैं वह भी मामले को उलझाने से अधिक कुछ नहीं है। लेकिन वे मामले को उलझाने में भी कामयाब नहीं हुए है। उन्होंने कहा भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री जिस प्रकार से कड़ा रूख अपना रहे हैं उससे वे इस बात को स्थापित करने में सफल रहे हैं कि कानून से ऊपर कोई नहीं । जबकि कांग्रेस सरकार के समय उस समय के मुख्यमंत्री का मंत्र था ‘न खाता न बही, जो वे (मुख्यमंत्री) कहें वह सही’। लेकिन अब खाते बही का हिसाब भी रखा जा रहा है और पुराना हिसाब भी मांगा जा रहा है ।

 

 

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