सिडकुल घोटाला : छोटी मछली पर कार्रवाई, बड़ी मछलियों को छूट, आखिर सिडकुल घोटाले का मास्टर माइंड कौन? पूर्व एमडी समेत कई संदेह के घेरे में!

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देहरादून। उत्तराखंड सरकार का सिडकुल कांड इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इसका कारण सिडकुल में हुए करोड़ों के घोटाले में डीजीएम (टेक्निकल) संजय रावत को निलंबित किया जाना है। संजय रावत के निलंबन से यह तो स्पष्ट हो गया कि सिडकुल में करोड़ों का गोलमाल है लेकिन बिना प्रबंध निदेशक अथवा उच्चाधिकारियों के गोलमाल और घोटाले संभव नहीं है। छोटी मछलियों को निलंबित किया जाना और बड़ी मछलियों पर कोई कार्यवाही न करना यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है। फिलहाल संजय रावत को सिडकुल की वर्तमान एमडी सौजन्या ने निलंबित कर उद्योग निदेशालय से संबंद्ध कर दिया है।
सितारगंज और काशीपुर स्कार्ट फार्म विकसित किए जाने के नाम पर तत्कालीन हरीश रावत सरकार में अरबों रुपये लुटाने का सनसनीखेज खुलासा हुआ था। उस समय विधानसभा में भी काफी हंगामा हुआ था लेकिन कार्यवाही कुछ नहीं हुई। इस घोटाले पर वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा जांच के निर्देश मुख्य सचिव को दिए गए थे। इस जांच में पता चला कि वास्तव में कोई काम नहीं हुआ था पर अधिकारियों ने कार्य की गुणवत्ता और वास्तविकता जाने बिना भुगतान कर दिया। यह सभी कार्य उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को आवंटित हुए थे। पंतनगर में बच्चों के लिए पार्क बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये की राशि खर्च कर देना चर्चाओं का विषय रहा। सिडकुल के करोड़ों के घोटाले की बात पुख्ता होने के बाद मुख्यमंत्री ने इस पर अतिशीघ्र कार्यवाही करने की बात कही और आनन-फानन में डीजीएम संजय रावत को निलंबित कर दिया गया।
उन पर आरोप है कि वे पद पर रहते हुए तकनीकी एवं वित्तीय अनियमितताएं करने, विकास कार्यों के आगणन के बिना प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति कराने में शामिल है। बजट में अनावश्यक वृद्धि, शर्तों का अनुपालन न किया जाना भी इसके कारण बताए जा रहे हैं। डीजीएम पर तो आरोप हैं ही, तत्कालीन एमडी इलेक्ट्रानिक मीडिया में कई मामलों को लेकर खासे चर्चित रहे हैं और उन पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। उनके बाद आयी नई एमडी सौजन्या ने लाखों के गोलमाल तथा आय से अधिक संपत्ति के मामले में संजय रावत को निलंबित कर दिया है लेकिन अपने पूर्ववर्ती अधिकारियों पर कोई कार्रवाई करने की संस्तुति करेंगी या नहीं यह चर्चा का विषय है। चाहे जमीनों को खुर्द-बुर्द करने का मामला हो अथवा बिना काम के भुगतान, सब पर सवालिया निशान लगते रहे हैं। भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को बढ़चढ़ कर उठाया था। गत मार्च में सचिव सतर्कता नितेश झा ने इस मामले पर विजीलेंस जांच के आदेश दिए थे, लेकिन केवल छोटी मछली पर गाज गिरना और बड़ी मछलियों को न छेड़ना अच्छी खासी चर्चाओं में है। वैसे भी पूर्व एमडी अधिक आय के कारण आयकर विभाग के निशाने पर थे लेकिन उन पर क्या कार्यवाही होती है यह आने वाला समय बताएगा।
वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पूर्ववती सरकार में नेता विपक्ष अजय भटट के नेतृत्व में भाजपा सदस्यों ने विधानसभा में हंगामा किया था और सिडकुल पंतनगर और हरिद्वार में जमीनों के सौदों में 1000 करोड़ रूपये के घोटाले की सीबीआई से जांच कराने की मांग थी, जिस पर कई बाद सदन स्थगित हुआ। तत्कालीन सरकार ने जांच की कोई कार्यवाही नहीं की। वर्तमान सरकार ने इस मामले पर जांच प्रारंभ कर दी है। जिसमें डीजीएम पर गाज गिरी है, अन्य अधिकारियों की भूमिका पर भी निश्चित रूप से कोई सकारात्मक कार्यवाही होगी। अब तक पूर्व निदेशकों तथा महाप्रबंधकों पर कार्यवाही न होना चर्चा का विषय बना हुआ है।

 

 

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