उत्तराखंड में जितने भी सिद्धपीठ है, उनमें सुरकंडा ही एक ऐसा सिद्धपीठ है, जहां गंगा दशहरे के मौके पर मेला लगता है। वैसे तो मंदिर में वर्ष भर लोगों की आवाजाही होती है, लेकिन गंगा दशहरे के मौके पर मां के दर्शन का विशेष महत्व है।

जब गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए राजा भागीरथ ने तप किया उस समय भगवान शिव की जटाओं के खुलने से गंगा की एक धारा सुरकुट पर्वत पर भी गिरी थी। इसका उल्लेख केदारखंड में भी है।
यहां निरंतर पानी निकल रहा है। जिसे गंगाजल की तरह पवित्र माना जाता है।