

देहरादून। हिन्दू समाज के शंख ध्वनि का विशेष महत्व है। हर शुभ कार्य में शंख वादन महत्वपूर्ण माना जाता है। हिन्दू पूजा और आरती तथा अन्य शुभ अवसरों पर शंख बजाने के बहुत लाभ है। पहले युद्धकाल प्रारंभ होने के लिए लोग शंख ध्वनि करके संदेश देते थे लेकिन यही शंख ध्वनि सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण करती है। शंख ध्वनि के लिए हिन्दू समाज में आठ महत्वपूर्ण कारण बताएं गए हैं।
पुराणों में लेख मिलता है कि शंख सूर्य और चंद्रमा के समान पूजनीय है। शंख के मध्य में वरुण देव, पृष्ठ भाग ब्रह्मा, अग्र भाग में मां सरस्वती एवं देवी गंगा का वास माना जाता है।
शंख बजाने से ओम की मूल ध्वनि निकलती है जो सृष्टि रचना के बाद पहला शब्द मानी जाती है। इसीलिए हर नये कार्य की शुरूआत शंख ध्वनि से होती है। यहां तक कि सत्यनाराण व्रत कथा में हर अध्याय के बाद शंख ध्वनि की जाती है।
शंख को बुराई पर अच्छा संकेत माना जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध में पांचजन्य शंख का उद्घोष किया था।
शंख धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक है। जो हिन्दू परंपरा में चार पुरुषार्थ माने जाते हैं।
शंख से निकलने वाली ध्वनि नकारात्मक ऊर्जा का नाश कर देती है जो शंख की तरंगों का ही कमाल है। यह वैज्ञानिक कारण बताया जाता है।
धार्मिक आयोजना में शंख बजाने से भटके मन को एकाग्रता मिल जाती है और व्यक्ति भगवान और पूजा के प्रति समर्पित हो जाता है।
इसी प्रकार शंख वादन का एक उद्देश्य जानकारी देना भी होता है। पहले मंदिरों में आरती के समय शंख ध्वनि की जाती थी, इसका अर्थ यह था कि लोग समझ जाएं कि आरती का समय हो चुका है और लोग वहां पहुंच जाए।
यह आठ कारण शंख ध्वनि के साथ-साथ भारतीय मान्यताओं के बारे में पुष्टि करते हैं।



