विश्व पर्यावण दिवस से एक दिन पहले पर्यावण संरक्षण को लेकर कार्यशाला का हुआ आयोजन।

देहरादून – विश्व पर्यावण दिवस से ठीक एक दिन पहले पर्यावण संरक्षण को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विभाग के तमाम वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। पर्यावण को कैसे संरक्षित किया जाय इस पर मंथन किया।

इस मौके पर जनसामान्य में पर्यावण संरक्षण के दृष्टिगत जागरूकता उत्पन्न कर पर्यावरण संरक्षण व उनकी रुचि और सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही गयी। वक्ताओं ने कहा कि वन एवं पर्यावरण में हाड़ और मांस का संबंध है, एक के बिना दूसरे का अस्तित्व संभव नहीं है। स्वास्थ्य पर्यावरण के लिए बिना धरती पर जीवन का अस्तित्व असंभव है, पर आज की विडंबना यह है कि मानव जाति की सुविधा वादी जीवन शैली और विकास की होड़ के कारण पृथ्वी का पर्यावरण संकट ग्रस्त है। वही कार्यशाला में वक्ताओं ने बताया कि विकास के साथ पर्यावरण को कैसे मेंटेन किया जाए इस पर ठोस नीति बनाने की दिशा पर विचार साझा किए गए।

वहीं वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस दिशा में साल 2021 में दो लाख 57 हजार से ज्यादा पेड़ लगाए गए, साथ ही 1 लाख 16 हजार वृक्षारोपण प्रस्तावित हैं। वहीं पर्यावरण पर वनाग्नि का नकारात्मक प्रभाव को लेकर भी बात हुई। कार्यशाला में कहा गया कि राज्य में वनाग्नि एक बहुत बड़ी समस्या है इस पर प्रदेशवासियों के सहयोग से नियंत्रण किया जा सकता है।

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