लोक निर्माण विभाग को ‘ब्लैक स्पॉट’ मामले में नोटिस जारी

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देहरादून। उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं के लिए वाहन चालकों की लापरवाही ही नहीं होती, बल्कि सड़कों की खराब दशा भी जिम्मेदार है। परिवहन और पुलिस विभाग ने राज्य में ऐसे कई स्थान चिन्हित किए हैं जहां पर तीन साल में पांच दुर्घटनाएं या किसी दुर्घटना से लोगों की मौत न होती हो। आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड सड़क हादसों के मामले में भले देशभर में 24वें नंबर पर हैं, लेकिन जनहानि के हिसाब से 6वें नंबर पर है।
उत्तराखंड में पहाड़ आपदा से जूझ रहे हैं तो प्रदेश की सड़कें भी जानलेवा हो चुकी हैं। अब ब्लैक स्पॉट के इस मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने लोक निर्माण विभाग को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि प्रदेश में लगभग 130 जानलेवा ब्लैक स्पॉट हैं, जिसमें अकेले राजधानी में 48 ब्लैक स्पॉट डेथ रिकॉर्ड में दर्ज हैं। वहीं लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों कहना है कि पूरे राज्य में ब्लैक स्पॉट को खत्म करने में विभाग को 2020 तक का समय लग जाएगा।

राज्य के ज्यादातर जिलों में हादसों का बढ़ता ग्राफ इस बात का सबूत है कि जिस रफ्तार में लोक निर्माण विभाग को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, उसमें वो फिसड्डी साबित हो रहा है। ऐसे में अब मानवाधिकार आयोग की सख्ती और सत्ताधारी पार्टी का दबाव इस महकमे में कितनी ऊर्जा भर सकेगा ये देखने वाली बात होगी।

इस संबंध में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिए थे कि जल्द से जल्द रोड सेफ्टी ऑडिट का काम पूरा कराएं। ब्लैक स्पॉट को दूर करने में तेजी लाएं। उन्होंने कहा था कि सड़क दुर्घटना के लिए ज़िम्मेदार किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के निर्देश भी दिए थे। लेकिन अभी तक इस संबंध कोई पुख्ता कार्यवाही नहीं की गई।

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