क्या आप जानते है कि राज्य के मंत्री की जिम्मेदारी किसके प्रति तय होती है, मंत्री किसे रिपोर्ट करते हैं, इसमें स्पीकर की क्या भूमिका होती है। यह देश के संविधान में स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि विधानसभा के अंदर स्पीकर का निर्णय ही अंतिम होता है।
आमतौर पर शांत और प्रसन्नचित्त दिखने वाले विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का ऋषिकेश में दूसरा रूप देखने को मिला. उत्तराखंड के विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल मंगलवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) ऋषिकेश से राजधानी देहरादून तक उत्तराखण्ड परिवहन निगम की बस सेवा को हरी झंडी दिखाकर शुभारम्भ करने ऋषिकेश पहुंचे थे। जब खुद विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल कार्यक्रम में पहुंचे तो अधिकारियों ने विधानसभा अध्यक्ष को भी प्रोटोकॉल के मुताबिक तवज्जो नहीं दी जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष गुस्सा हो गए.
प्रेमचन्द्र अग्रवाल ने अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई, मौके पर मौजूद कर्मचारियों के साथ ही परिवहन विभाग के उच्च अधिकारियों को भी स्पीकर के गुस्से का शिकार होना पड़ा….विधानसभा अध्यक्ष ने प्रोटोकॉल की अनदेखी पर जमकर नाराजगी जताई और कहा कि उनके मंत्री यानि परिवहन मंत्री भी उनकी अनुमति के बगैर हिल नहीं सकता।
उन्होंने यंहा तक कह डाला कि मंत्री भी उनके अधीन हैं। पूछा कि क्या प्रोटोकाल की अनदेखी के लिए मंत्री ने निर्देशित किया है। इस दौरान अग्रवाल ने उपेक्षा पर खूब रोष प्रकट किया।
अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या वास्तव में कैबिनेट मंत्री विधानसभा अध्यक्ष के अधीन होते है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष की नाराजगी को जानकार जायज ठहरा रहे हैं। प्रदेश में अधिकारियों के रवैए को लेकर लोगों में भी नाराजगी है। मगर, मंत्री के विधानसभा अध्यक्ष के अधीन होने की बात पच नहीं रही है।