ब्ल्यू व्हेल गेम खेलते हुए छात्र ने की फिर खुदखुशी की कोशिश

बड़ी खबर : आत्महत्या को उकसाने के लिए दुनियाभर में मशहूर हुए ब्ल्यू व्हेल गेम ने देहरादून शहर में भी दस्तक दे दीं है चर्चा है की यंहा के एक छात्र ने इस खतरनाक गेम के चक्कर में खुदखुशी करने की कोशिश की है हलाकि पुलिस इस तरह के मामले की जानकारी होने से इंकार कर रही है चर्चा है कि दून के एक स्कुल में पढ़ने वाले छात्र ने इस गेम को खेलते हुए खुदखुशी की कोशिश की है चर्चा तो यंहा तक है कि देहरादून के एक स्कुल की प्रिंसिपल दुवारा कक्षा पांच के बच्चे को आत्महत्या करने से बचाया है

इस घातक खेल ब्लू व्हेल चैलेंज की लोकप्रियता के अचानक बढ़ जाने पर सरकार को इंटरनेट कंपनियों को इस खतरनाक खेल के लिंक हटाने के निर्देश देने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इस खेल में 50 दिन की अवधि में खिलाड़ी को कई टास्क दिए जाते हैं और अंतिम टास्क आत्महत्या की ओर ले जाता है। खिलाड़ी को टास्क खत्म करने के बाद तस्वीरें साझा करने के लिए भी कहा जाता है।

‘ब्लू व्हेल चैलेंज नामक इस खतरे से बहुत से बच्चे और लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं और वे यह तक नहीं जानते कि इससे उनकी जान चली जाएगी और उनके परिवारों को भारी दर्द झेलना होगा। भारत में 12 से 19 साल की आयु सीमा के छह से ज्यादा बच्चे दो हफ्ते में इस खेल को खेलते हुए अपनी जान से हाथ धो चुके हैं। रूस, चीन, सऊदी अरब, ब्राजील, अर्जेंटीना, बुल्गारिया, चिली और इटली जैसे देशों से भी किशोरों की मौत की खबर मिली है

पीठ ने कहा कि वह समझ सकती है कि बच्चे प्रभावित हो रहे हैं लेकिन व्यस्क लोग क्यों इसमें शामिल हो रहे हैं? आगे पीठ ने कहा, ‘यदि किसी व्यस्क से कोई टास्क करने को कहा जाता है तो वह जाकर इमारत से कूद क्यों जाता है? हम इस बात पर हैरान हैं कि आखिर बच्चे और बड़े दोनों ऐसा कर क्यों रहे हैं?’ हालांकि उच्च न्यायालय ने याचिका के आधार पर कोई आदेश जारी नहीं किया। याचिका में अनुरोध किया गया था कि अदालत गूगल, फेसबुक और याहू जैसी इंटरनेट कंपनियों से ब्लू व्हेल के लिंक हटाने के लिए कहे।
भारत और विदेश में बच्चों की मौत का हवाला देते हुए याचिका दायर करने वाले वकील ने अनुरोध किया कि इंटरनेट की बड़ी कंपनियों को तत्काल निर्देश दिए जाएं कि वह ब्लू व्हेल चैलेंज से जुड़ी कोई सामग्री अपलोड न करें। उन्होंने अदालत से दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने के लिए भी कहा कि वह एक पांच सदस्यीय विशेष दल नियुक्त करे, जो इस बात की निगरानी करेगा कि इंटरनेट कंपनियां अदालत का आदेश मान भी रही हैं या नहीं।

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