बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के आभाव में ग्रामीण अपना रहे पुरातन तकनीके।

हल्द्वानी – कहा जाता है की आवश्यकता अविष्कार की जननी होती है, सदियो से परंपरागत रूप से मानव निर्मित एक ऐसा यंत्र जिसे घराट या पनचक्की भी कहा जाता है। सुदूर ग्रामीण इलाकों में जहां बिजली सड़क आदि मूलभूत सुविधाओं का हमेशा अभाव रहा है, ऐसे में नदी या उन जगहों पर जहां पर्याप्त जल धाराओं की सुविधा हो वहां इन जल घराटों को स्थापित किया जाता है।

पानी की तेज धाराओ से चलने वाली ये चक्की जहां ग्रामीणों की गेहूं दाल मसालों जैसे मोटे अनाजों पीसने का काम किया जाता है। आधुनिक समय में जब विद्युत संयंत्रों का इस्तेमाल अधिक होने लगा है, ऐसे में कहीं ना कहीं इन घराटों का प्रयोग भी कम हुआ है।

पिसे हुए अनाज का स्वाद वह पौष्टिकता बिजली से चलने वाली चक्की की अपेक्षा कहीं ज्यादा होता है यही कारण है कि अपनी पुरानी सभ्यता को समेटे हुए पहाड़ी इलाकों के लोग आज भी इन्हीं घराटो का प्रयोग करते आ रहे हैं!

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