
देहरादून/मसूरी – मसूरी में मसूरी तिलक मेमोरियल लाइब्रेरी में बाल गंगाधर तिलक का जन्म दिवस सादगी के साथ मनाया गया इस मौके पर तिलक मेमोरियल लाइब्रेरी में स्थापित बाल गंगाधर तिलक की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके मार्ग पर चलने का आह्वान किया गया। इस मौके पर मसूरी तिलक मेमोरियल लाइब्रेरी के सचिव राकेश अग्रवाल सामाजिक कार्यकर्ता समीर शुक्ला और भाजपा नेता सतीश ढौंडियाल द्वारा बाल गंगाधर तिलक की जीवनी पर प्रकाश डाला गया।
राकेश अग्रवाल ने बताया कि मसूरी तिलक मेमोरियल लाइब्रेरी को इस वर्ष 100 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं महोत्सव के तहत तिलक मेमोरियल का 100 वर्षगांठ बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। वहीं इस मौके पर कई विभूतियों को सम्मानित भी किया जाएगा। उन्होंने बताया कि बालगंगाधर तिलक द्वारा का नाम स्वतंत्रता आंदोलन में हमेशा सुनहरे अक्षरों से लिखा जाता है। उनके बचपन का नाम बलवंत राव था, बाद में उन्हें लोकमान्य की उपाधि मिली। उनका जन्म महाराष्ट्र के कोंकण प्रदेश (रत्नागिरी) के चिखली गांव में 23 जुलाई 1856 को हुआ था। पिता गंगाधर रामचंद्र तिलक एक ब्राह्मण थे। तिलक कांग्रेस में गर्म दल के नेता थे और उन्होंने ‘स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा’ का नारा दिया था। लोकमान्य तिलक आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने पहले थे। उन्होंने पत्रकारिता जगत में राष्ट्रीय मूल्यों को स्थापित करने के लिए जिस साहस, संघर्ष और बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया था उनकी जरूरत आज भी महसूस होती है।
लोकमान्य तिलक पत्रकारिता जगत के लिए प्रेरणा पुंज हैं जिन्होंने पत्रकारिता को अपने उद्देश्यों की प्राप्ति एवं जनसेवा के एक प्रमुख उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया। ऐसे लोगों में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। ‘लोकमान्य’ तिलक एक निर्भीक संपादक भी थे। उन्होंने केसरी और ‘मराठा’ अखबारों की शुरुआत की। तिलक के लेख आजादी के दीवानों में एक नई ऊर्जा का संचार करते थे। इसके लिए उन्हें कई बार अंग्रेजों ने जेल भी भेजा था हालांकि वह कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे लेकिन कई मौकों पर उन्होंने अपनी पार्टी की नीतियों के विरोध में भी लिखा। तिलक को कांग्रेस के नरम दलीय नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा। महात्मा गांधी ने लोकमान्य को आधुनिक भारत का निर्माता और पंडित नेहरू ने भारतीय क्रांति के जनक की उपाधि से नवाजा था।