आपदा के बाद से वीरान पड़ी फूलो की घाटी का नजारा और कुदरत की कारीगरी ने कुछ ऐसा निखारा है की मानो यह धरती नही स्वर्ग का एक हिस्सा हो । जी हां हम बात कर तहे है विश्व की धरोहर ओर उत्तराखंड की पहचान फूलो की घाटी की जो इस बारिश में ऐसे निखर कर सामने आई है जिसको देख कर कोई भी इसका दीवाना हो जाये
उत्तराखंड चमोली जिले में हजारो की तादात में पर्यटक इस खूबसूरत नजारे का दीदार करने के लिए आ रहे है । फूलों की घाटी मे इस समय तीन सौ से अधिक प्रजाति के फूल खिलें हुए है। जितनी ये खूबसूरत घाटी है उतना ही खूबसूरत इसका इतिहास भी है फूलो की घाटी की खोज 1931 मे प्रसिद्ध ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक स्मिथ ने की थी। फ्रैंक पर्वतारोहण के बाद रास्ता भटकने पर यहां पहुंचे थे। यहां फूलों की सौन्दर्य देख इस कदर मंत्रमुग्ध हो गये की उन्होंने कुछ दिन घाटी की हसीन वादियों मे बिताए । उन्होने यहां से फूलों की सैंपल लेकर अपने साथ ले गये और वैली फ्लावर नाम से किताब लिखी ।जिसने पूरी दुनिया मे तहलका मचाया ।तभी से घाटी को नयी पहचान मिली। पर्यटक अपने साथ फूलो की घाटी के हसीन अनुभवों को ले जा रहे है। जुलाई अगस्त का महीने मे फूलों की घाटी सभी दुर्लभ प्रजाति के फूल खिले रहते है ।इसी समय ही यहां पर्यटको की भारी भीड़ रहती है। 87.5 वर्ग क्षेत्रफल मे फैली घाटी की जैवविविधता का खजाना देख पर्यटक खुश हो रहे है नदी की कल-कल,झर-झर झरते झरने,फूलों की घाटी सौन्दर्य पर्यटको को खासतौर पर आकर्षित कर रही है।घाटी मे ब्ल्यूपाॅपी, ब्रहमकमल के फूल,को देख पर्यटक देश विदेश से फूलों की घाटी पहुंच रहे है।
बारिश और सड़को पर पहाड़ आने के कारण भले ही लोग चारधाम ना आ रहे हो लेकिन फूलों की घाटी में पर्यटको का तांता लगा हुआ है।प्रतिदिन सैकड़ो पर्यटक आते रहे है। फूलों की घाटी मे अबतक 3500 से अधिक देशी विदेशी पर्यटक घाटी का दीदार कर चुके है। और लगातार घाटी मे जमावड़ा लगा हुआ है।जापान का राष्ट्रीय फूल ब्ल्यूपाॅपी के फूल खिलते ही जापान सहित एशियाई देशो के पर्यटक आते रहे है।राज्य का पुण्प ब्रहमकमल भी भारी मात्रा मे खिल गये है। दुर्लभ प्रजाति के पशु-पक्षी, उड़ान भरती तितली भी अनोखी छटा बिखेर रही है।पर्यटको के मुंह से इस खूबसूरती के लिये कोई शब्द नही निकल रहे है