पति लगाता है बोली – परंम्परा के नाम में होता है घिनोना काम

 

 

यूँ तो आज डिजिटल इंडिया में महिला सशक्तीकरण और आत्मनिर्भरता के कई मिसाल देखने और सुनने को मिलते है, बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ जैसे मुहीम भी क्रांति के दावे करते है । पर आज भी डिजिटल इंडिया में परंम्परा के नाम पर लड़कियों पर वेश्यावृति जबरन थोपी जाती है! जी हाँ हैरानी की बात है की 21 वी सदी में भी , ऐसी मानसिकता रखने वाले  समुदाय आज भी भारत में कायम है, उन्ही में से एक समुदाय है,  परना समुदाय – यह वो समुदाय है जहां,  औरते  आज भी, परंपरा के नाम पर मजबूरन वेश्यावृत्ति की परंपरा का पालन कर रही हैं। खबरों की माने तो इस समुदाय में वेश्यावृति कई पीढ़ियों से चली आ रही है।ये बदकिस्मती है कि परना समुदाय की महिलाओं की , जो ससुराल वालों के लिए महज एक  पैसा कमाने का जरिया बनकर रह जाती है। मसलन उन्हें देह व्यापार में उतरना पड़ता है। हैरत की बात तो ये है की  इन के लिए ग्राहक कोई और नहीं बल्कि उनका पति ही ढूंढ कर लाता है।

 

दिल्ली से सटे कुछ इलाके जैसे नजफगढ़ के प्रेमनगर और धर्मशाला में यह समुदाय, साल 1964 में राजस्थान से दिल्ली आया था। सुरुवाती दिनों में यह समुदाय भीख मांग कर गुजरा करता था  , लेकिन  ज्यादा पैसे कमाने और पेट की भूख को मिटाने के लिए, पेट की  भूख को , देह की भूख बनाकर परंपरा का नाम दे दिया गया ।   हैरान करने वाली बात तो यह है की इस समुदाय की महिलाए , बड़ी सहजता से अपने जीवन की इस कड़वी सच्चाई को स्वीकार कर बिना किसी शिकायत के अपने ससुराल वालों और पति  के आदेशों का पालन करती  हैं। इन्हे ‘पति के वेश्या’ के रूप में भी जाना जाता है।

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