नौकरशाह के बच्चे और सरकारी स्कूल!

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नई दिल्ली: सरकारी स्कूलों में शिक्षा और आधारभूत संरचना की गुणवत्ता को कमजोर बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आप सरकार से सवाल किया कि क्या नौकरशाह अपने बच्चों को ऐसे संस्थानों में भेजना पसंद करेंगे. जस्टिस मनमोहन ने कहा, ‘‘आपके (दिल्ली सरकार) स्कूल स्तर से कमतर हैं. अमेरिका में लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजने को तरजीह देते हैं क्योंकि वहां आधारभूत संरचना और शिक्षक अच्छे हैं.’’

कोर्ट ने कहा, ‘‘हमारे सरकारी स्कूलों में शिक्षक कक्षा में ही नहीं आते. आधारभूत संरचना की तो बात करना ही बेकार है.’’ कोर्ट ने उल्लेख किया कि चयन की स्वतंत्रता, विशेष रूप से शिक्षा के संबंध में स्कूल से दूरी (नेबरहुड क्राइटेरिया) के आधार पर नर्सरी दाखिले के संबंध में एक आदेश के जरिए छीना नहीं जा सकता. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील से पूछा कि क्या आपके नौकरशाह अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजना चाहेंगे, जिन्हें निजी स्कूलों से मुकाबले के लिए लंबा रास्ता तय करना है.

जस्टिस ने कहा ‘‘आपका स्तर इतनी तेजी से गिरा है कि इसे सुधारने में लंबा समय लगेगा’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या आप और मैं फैसला कर सकते हैं कि बच्चे के अभिभावक को पढ़ाई के लिए कहां जाना चाहिए.’’ कोर्ट ने यह टिप्पणी निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को स्कूल से दूरी नियम का इस्तेमाल करते हुए नर्सरी में छात्रों के दाखिले के लिए आप सरकार के हालिया आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान की.

सरकार के फैसले का बचाव करते हुए शिक्षा निदेशालय की तरफ से पेश होकर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि वे उन स्कूलों को सुधारने के लिए कदम उठा रहे हैं और निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों पर लगायी गयी शर्त उसी का हिस्सा है, इसलिए उन्हें स्कूल से दूरी (नेबरहुड क्राइटेरिया) नियम अपनाने देना चाहिए.

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