देहरादून- निकाय चुनाव की सबसे हाॅट सीट देहरादून पर कौन मेयर बनेेेेगा इसका फैसला 20 नंबर को चुनाव परिणाम आने पर ही हो सकेगा, लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों की निगाहें ही उन मलिन बस्तियों के वोटरों पर टिकी हुई है जिन्होनें इस फैसले में अहम भूमिका निभानी है। राजधानी देहरादून का निकाय भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। भाजपा जो दस साल से निगम की सत्ता पर काबिज रही है के सामने अपने दस साल कामों पर जनता की मोहर लगवा कर जीत की हैट्रिक बनाने की है। वहीं कांग्रेस के सामने भाजपा के वर्चस्व को तोडने की चुनौती है। निकाय चुनाव में दून के महापौर की सीट सबसे हॉट सीट माना जा रहा है। सौ वार्डों वाले निकाय के लिए 6 लाख 28 हजार से अधिक मतदाताओं को यह फैसला करना है कि अगला महापौर कौन होगा? बता दे कि सवा छह लाख मतदाताओं से तीन लाख के गरीब मतदाता दून की 122 मलिन बस्तियों में रहते हैं। जिन्होनें यह तय करना है कि अगला महापौर कौन होगा?दून की इन मलिन बस्तियों पर लंबे समय से राजनीति तो होती ही रही है, लेकिन अतिक्रमण के नाम पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद इन मलिन बस्तियों पर उजडने का संकट भी बना हुआ है। इन बस्तियों को उजडने से बचाने के लिए अभी त्रिवेंद्र सिंह द्वारा एक अध्यादेश भी लाया गया था। यही नही पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा भी इन बस्तियों के नियमितीकरण की पहल की गयी थी। वर्तमान समय में भाजपा ने अपने घोषणाकृपत्र में मलिन बस्तियों में रहने वालों को नया घर देने और कांग्रेस द्वारा अपने दृष्टि पत्र में मालिकाना हक दिलाने का वचन दिया गया है लेकिन इन मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग इस बात को भी अच्छी तरह से जानते हैं कि भाजपा व कांग्रेस इस मुद्दे पर राजनीति ही करते रहे हैं। उनकी समस्या 10 साल से यथावत ही बनी हुई है। देखना यह है कि इन मलिन बस्तियों में रहने वाले वोट किस दल या नेता पर भरोसा जताते हैं। इन वोटरोें का रूख जिधर भी होगा वही बनेगा दून का नया महापौर। न सिर्फ चुनाव मैदान मे उतरे प्रत्याशियों को अपितु भाजपा व कांग्रेस तथा आप तक सभी दलोेें को भली भांति पता है कि मलिन बस्तियों के वोट बैंक का क्या महत्व है यही कारण है कि सभी दलों व नेताओं की नजर इन मलिन बस्तियों पर ही लगी हुई है।