यूँ तो देहरादून एजुकेशन हब के रूप में जाना जाता है, भावी पीढ़ी और युवाओ के उच्च शिक्षा के लिहाज से देहरादून पहली पसंद बनती जा रही है वहीँ सिक्के के दूसरे पहलु की तरह, शिक्षा ग्रहण करने दूर दराज से आये शिक्षार्थी का भविष्य खतरे में नजर आरहा है, आखिर कौन सा खतरा है जो दून के भविष्य पर मंडरा रहा है
पलकों में ऊँची उड़ान के सपने संजोये दूर दराज से, उच्च शिक्षा के लिए देहरादून की और रुख करते शिक्षार्थियों के लिए जहां देहरादून पहली पसंद बनता जा रहा है वहीँ, दूसरी और शिक्षा ग्रहण करने आ रहे शिक्षार्थियों के अभिभावकों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है आज का युथ कल्चर, जी हाँ, वो युथ कल्चर जो आज नशे की दल दल में धस्ता जा रहा है, सव्यंसेवी संगठन ‘परी फाउंडेशन ‘ के सर्वे में दून की , ये चौंका देने वाले तस्वीर उभर कर सामने आई है, ४० फीसदी याने की तक़रीबन १६०० छात्र नशे के गिरफ्त में हैं, नशे के गिरफ्त में ये युवाओ का भविषय न सिर्फ गर्त में जा रहा है , साथ में ये अपने माता पिता के उमीदो में भी पानी फेरते नजर आ रहे हैं, परी फाउंडेशन की संस्थापक एवं दूँ मेडिकल कॉलेज की न्यूरो साइकोलोजिस्ट डॉ सोना कौशल का कहना है की देहरादून के छात्रों के बीच चल रहा यह नशे का चलन हाल ही के चार पांच वर्षो में तूल पकड़ा है.
बात करे नशे की और बढ़ते कदमो के पीछे के कारण की तो-
पढाई का अत्यधिक बोझ
हॉस्टल और PG में अकेलेपन में रहना
दोस्तों के कहे कहे में शौकिया में
स्ट्रेस, डिप्रेशन, फॅमिली इशू , रिलेशनशिप
नशे के आदि युवाओ की माने तो शुरुवात पहले शौक से हुई और नतीजन आदत और आदत कब लत्त और जरुरत में बदल गयी , ये छात्र चरस गांजे से लेकर नशीली दवाओं का सेवन कर रही थी, साथ ही अपने नशे की लत्त और जरूरतों को पूरा करने के लिए नशा तस्करी की और भी निकल पड़े थे, बात चाहे नशे की हो या अन्य सेवन की बात करे आज के पीढ़ी की तो वाकई में , आज युवाओ के साथ साथ अभिभावकों को भी जागरूक करने की जरुरत है, इन सब के बीच सुखद बात यह है की आज ये युवा खुद नशे से दुरी बनाना चाहते है साथ ही अपने दोस्तों और परिचितों को भी इससे दूर रहने की सलाह देते नजर आरहे हैं.