देवभूमि की इस गुफा में छिपा है दुनिया के खत्म होने का रहस्य!

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रहस्यमयी गुफा को लेकर आपने कई खबरे पढी होगी। आज आपको एक ऐसी गुफा के बारे में बता रहे है जो आपको सोचने पर मजबूर कर दगी। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में गंगोलीहाट कस्बे में बसा है एक रहस्यमयी गुफा। इस गुफा से जुडी ऐसी मान्यताएं जिनका उल्लेख कई पुराणों में भी किया गया है। इस गुफा के बारे में बताया जाता है कि इसमें दुनिया के समाप्त होने का भी रहस्य छुपा हुआ है। इस गुफा को पाताल भुवनेश्वर के नाम से जाना जाता है। पौराणिक महत्व:

स्कंद पुराण में इस गुफा के विषय में कहा गया है कि इसमें भगवान शिव का निवास है। सभी देवी-देवता इस गुफा में आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं। गुफा के अंदर आपको 33 करोड देवी देवताओं की आकृति के अलावा शेषनाग का फन नजर आएगा। इस रहस्यमयी गुफा के बारे में कहा जाता है कि पाण्डवों ने इस गुफा के पास तपस्या की थी। काफी समय तक लोगों की नजरों से दूर रहे इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी।

भगवान शिव ने की थी यहां 108 पंखुड़ियों वाले कमल की स्थापना ।हिंदू धर्म में भगवान गणेशजी को प्रथम पूज्य माना गया है। गणेशजी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, बाद में माता पार्वतीजी के कहने पर भगवान गणेश को हाथी का मस्तक लगाया गया था, लेकिन जो मस्तक शरीर से अलग किया गया, वह शिव ने इस गुफा में रख दिया।
पाताल भुवनेश्वर में गुफा में भगवान गणेश कटे ‍‍शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला शवाष्टक दल ब्रह्मकमल सुशोभित है। इससे ब्रह्मकमल से पानी भगवान गणेश के शिलारूपी मस्तक पर दिव्य बूंद टपकती है। मुख्य बूंद आदिगणेश के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है। मान्यता है कि यह ब्रह्मकमल भगवान शिव ने ही यहां स्थापित किया था।

पत्थर बताता है कब होगा कलयुग का अंत:
इस गुफाओं में चारों युगों के प्रतीक रूप में चार पत्थर स्थापित हैं। इनमें से एक पत्थर जिसे कलियुग का प्रतीक माना जाता है, वह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। माना जाता है कि जिस दिन यह कलियुग का प्रतीक पत्थर दीवार से टकरा जायेगा उस दिन कलियुग का अंत हो जाएगा

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