तो पीरिड्स को लेकर इन गलतफहमी में रहती है महिलाएं….

wommen

नई दिल्ली: भारत में ग्रामीण महिलाएं न सिर्फ सैनेटरी उत्पादों तक पहुंच और इसे खरीदने की क्षमता जैसे मुद्दों के कारण, बल्कि मासिक धर्म से जुड़ी गलत धारणाओं और अंधविश्वासों के कारण भी स्वच्छता के साथ संघर्ष कर रही हैं. प्रसिद्ध सामाजिक उद्यमी और सैनिटरी पैड बनाने वाली मिनी मशीन के आविष्कारक अरुणाचलम मुरुगननथम ने इस बात का खुलासा किया है. पद्मश्री मुरुगननथम ने अपने ‘स्वच्छ सृष्टि’ कार्यक्रम के तहत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) में एक व्याख्यान में कहा कि उन्होंने मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में जागरूकता कायम करने के लिए अपने राष्ट्रव्यापी अभियान के दौरान ग्रामीण महिलाओं में अजीब और अक्सर खतरनाक मान्यताओं और प्रथाओं का लगातार विरोध किया है.

उन्होंने कहा, “मैंने सुना है कि कुछ महिलाओं को डर है कि अगर वे सैनिटरी पैड का उपयोग करेंगी तो वे अपनी दृष्टि खो सकती हैं. कुछ अन्य महिलाओं का विश्वास है कि यदि किसी ने आपके द्वारा इस्तेमाल किए गए पैड पर पैर रख दिया तो परिवार में किसी की मौत हो जाएगी.”

उन्होंने कहा, “इस विषय को लेकर गलत धारणाओं के कारण महिलाएं अक्सर स्वच्छ सैनिटरी पैड के विकल्प के रूप में सूखी पत्तियां, राख और समाचार पत्र जैसी असुरक्षित सामग्रियों का इस्तेमाल करती हैं.”

उन्होंने कहा, “कई महिलाएं इस बात से वाकिफ नहीं हैं कि इस तरह के व्यवहार खतरनाक होते हैं और संक्रमण और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं.”

तमिलनाडु में कोयम्बटूर के एक स्कूल से किसी समय पढ़ाई छोड़ चुके, मुरुगननथम ने महिलाओं को अपने मासिक धर्म के दौरान अपने ही घर में संघर्ष करते हुए देखकर 12 साल पहले सस्ती सैनिटरी पैड बनाने वाली मशीन का आविष्कार किया और उसके बाद से ही वह ग्रामीण भारत में मासिक धर्म को लेकर पारंपरिक अस्वच्छ प्रथाओं में परिवर्तन लाने के लिए अभियान चला रहे हैं. उन्होंने इसे ‘मौन गुलाबी क्रांति’ का नाम दिया है.

आईजीएनसीए में काफी संख्या मंे मौजूद दर्शकों, जिनमें अधिकतर स्कूली बच्चे थे, को मुरुगननथम ने नवाचार पर एक महत्वपूर्ण संदेश दिया, “अवसरों के लिए इंतजार कर अपना समय बर्बाद नहीं करें, बल्कि समाज में मौजूद समस्या का पता लगाएं और उसके समाधान की तलाश करें.”

आईजीएनसीए राष्ट्रीय स्वच्छ भारत अभियान का समर्थन कर स्वच्छता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आयोजनों की एक श्रृंखला का आयोजन कर रहा है. मंगलवार को वहां विद्यालय के विद्यार्थियों के लिए एक चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित होगी.

बुधवार को एक अलग व्याख्यान में डॉ. राम अवतार ‘स्वच्छता’ के विचार को साझा करेंगे, जैसा प्राचीन साहित्य में इसे वर्णित किया गया है. इसके अलावा रायपुर के कलाकार त्रयम्बक शर्मा के द्वारा छह और सात अक्टूबर को दो दिवसीय कार्टून कार्यशाला आयोजित की जाएगी. आईजीएनसीए सुलभ सैनिटेशन के द्वारा आयोजित एक प्रदर्शनी की भी मेजबानी करेगा, जो जनता के लिए आठ अक्टूबर तक सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक खुली रहेगी.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here