महोबा: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘तीन तलाक’ के संवेदनशील विषय पर पहली बार मुखर होते हुए कहा कि साम्प्रदायिक आधार पर मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होना चाहिये और मीडिया तीन तलाक को राजनीतिक और साम्प्रदायिक मुद्दा बनाने के बजाय कुरान के ज्ञाताओं को बैठाकर इस पर सार्थक चर्चा करवाये.
पीएम मोदी ने बुंदेलों की धरती महोबा में आयोजित ‘परिवर्तन रैली’ में आरोप लगाया कि तीन तलाक के मुद्दे पर देश की कुछ पार्टियां वोट बैंक की भूख में 21वीं सदी में मुस्लिम औरतों से अन्याय करने पर तुली हैं. क्या मुसलमान बहनों को समानता का अधिकार नहीं मिलना चाहिये.
उन्होंने कहा ‘‘मेरी मुसलमान बहनों का क्या गुनाह है. कोई ऐसे ही फोन पर तीन तलाक दे दे और उसकी जिंदगी तबाह हो जाए. क्या मुसलमान बहनों को समानता का अधिकार मिलना चाहिये या नहीं. कुछ मुस्लिम बहनों ने अदालत में अपने हक की लड़ाई लड़ी. उच्चतम न्यायालय ने हमारा रुख पूछा. हमने कहा कि माताओं और बहनों पर अन्याय नहीं होना चाहिये. सम्प्रदायिक आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिये.’’
पीएम मोदी ने कहा ‘‘चुनाव और राजनीति अपनी जगह पर होती है लेकिन हिन्दुस्तान की मुसलमान औरतों को उनका हक दिलाना संविधान के तहत हमारी जिम्मेदारी होती है.’’ उन्होंने कहा ‘‘मैं मीडिया से अनुरोध करना चाहता हूं कि तीन तलाक को लेकर जारी विवाद को मेहरबानी करके सरकार और विपक्ष का मुद्दा न बनाएं. भाजपा और अन्य दलों का मुद्दा ना बनाएं, हिन्दू और मुसलमान का मुद्दा ना बनाएं. जो कुरान को जानते हैं, वे टीवी पर आकर चर्चा करें.’’
प्रधानमंत्री ने कहा ‘‘मुसलमानों में भी लोग सुधार चाहते हैं. जो सुधार नहीं चाहते, उनकी चर्चा हो।. सरकार ने अपनी बात रख दी है. कोई गर्भ में बच्ची की हत्या कर दे तो उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिये. वैसे ही तीन तलाक कहकर औरतों की जिंदगी बर्बाद करने वालों को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.’’
मालूम हो कि ‘तीन तलाक’ का मुद्दा उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है. सरकार ने अपने हलफनामे में इसका विरोध किया है, जबकि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे शरई कानून में दखलअंदाजी मानते हुए पूरे देश में हस्ताक्षर अभियान चलाया है.