“टिहरी झील से कम पानी छोड़ने से मैदानी इलाकों में बाढ़ का खतरा हुआ कम”

बड़ी खबर : टिहरी बांध से भागीरथी नदी में कम पानी छोड़ने से मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा फिलहाल कम हो गया है। पहले टीएचडीसी से भागीरथी नदी में 550 क्यूमेक्स पानी छोड़ा जाता था, जिसे घटाकर 250 क्यूमेक्स कर दिया गया है। दरअसल, देबप्रयाग ऋषी केश ओर हरिद्द्वार के लक्सर क्षेत्र में बाढ़ का खतरा बढ़ रहा था, जिसके चलते हरिद्वार जिला प्रशासन ने टिहरी प्रशासन से टिहरी बांध से नदी में पानी कम छोड़ने की गुहार लगाई थी।
पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश से टिहरी झील के जलस्तर में वृद्धि हो रही है। सोमवार को टिहरी झील का जलस्तर 805.25 दर्ज किया गया, जबकि तीन अगस्त को झील का जलस्तर 800 मीटर था। पांच दिन में ही झील के जलस्तर में पांच मीटर की वृद्धि हुई। तेजी से बढ़ते जलस्तर के चलते बांध से 550 क्यूमेक्स पानी नदी में छोड़ा जा रहा था, जिससे ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा था। इस पर रविवार को हरिद्वार जिला प्रशासन ने लक्सर क्षेत्र में बाढ़ के खतरे का हवाला देते हुए टिहरी आपदा नियंत्रण कक्ष को फोन पर टीएचडीसी बांध से कम पानी छोड़े जाने का आग्रह किया। टिहरी जिला प्रशासन ने टीएचडीसी अधिकारियों को बांध से थोड़ा पानी रोकने और कम पानी छोड़ने के निर्देश दिए। इसके बाद टिहरी बांध के अधिकारियों की ओर से अब 550 की जगह 250 क्यूमेक्स ही पानी भागीरथी नदी में छोड़ा जा रहा है। इससे मैदानी क्षेत्रों में भी बाढ़ का खतरा कम हो गया है। टिहरी की जिलाधिकारी सोनिका ने बताया कि लक्सर में बाढ़ के खतरे को देखते हुए टिहरी बांध से पानी कम छोड़ने के निर्देश दिए गए। साथ ही सभी अधिकारियो को सतर्क रहने के निर्देश दिए है

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