चुनाव आते ही चर्चाओ का बाजार गरम है गली मोहल्लो और चाय की दुकानों पर ऐसी चर्चाये जगह जगह मिल जाएँगी!
छुट भैय्या नेताओं ने चुनाव में ताल ठोक कर चुनावी समीकरणों को बिगाडऩे का काम किया है। इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य कहेंगे,जो नगर पालिका का चुनाव नहीं जीत सकता वह विधायक बनने का सपना देखता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियां इन छुट भैय्या नेताओं के दावेदारी से खासी परेशान हैं। यही स्थिति सभी 70 विधानसभा सीटों पर तो है पर महानगर देहरादून जो राजधानी भी है में स्थिति काफी खराब है। एक-एक सीट के दावेदारों की तुलना की जाए तो भाजपा और कांग्रेस के लगभग 500 दावेदार सामने नजर आ रहे हैं, यह बात अलग है कि इन दावेदारों को न तो टिकट मिलेगा और न ही कोई वजूद होगा पर दावेदारी ठोककर अपनी उपस्थिति का एहसास तो करा ही दिया है। कैंट विधानसभा जो भाजपा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर की सीट है, जहां पर उनके अलावा अन्य लोगों की जीतने की कम संभावना है फिर भी भाजपा और कांग्रेस के एक-एक दर्जन उम्मीदवारों ने अपनी दावेदारी ठोकी है। भाजपा की ओर से जिन लोगों ने दावेदारी ठोकी है उनमें श्री कपूर को छोड़कर कोई ऐसा नाम नहीं है जो जीत की ओर अग्रसर हो सके। ठीक यही स्थिति कांग्रेस के दावेदारों की है। कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना को छोड़ दिया जाए तो उनके पद और कद के सामने लगभग सभी कांग्रेसी नेता बौने नजर आते हैं। इनमें कई ऐसे लोग हैं जो सरकार में दायित्वधारी हैं वे भी कैंट से ताल ठोक रहे हैं जिनमें सरदार देवेन्द्र सिंह सेठी के पुत्र के साथ-साथ रामकुमार वालिया, पण्डित लाल चन्द शर्मा, नवीन जोशी जैसे एक दर्जन नाम हैं, जो अपनी जीत के दावे कर रहे हैं पर पहुंच के नाम पर सभी बौने नजर आते हैं। यही स्थिति सहसपुर विधानसभा की है जहां भाजपा के सहदेव पुण्डीर वर्तमान विधायक हैं यहां भी भाजपा और क ांग्रेस की ओर से दर्जनों दावेदार खड़े हुए हैं। अल्पसंख्यक समाज के लगभग एक दर्जन प्रत्याशी दावा कर रहे हैं कि वे यह सीट कांग्रेस के झोली में डालेंगे। इनमें कई अखबारी नेता भी शामिल हैं, जो पोस्टर और बैनरों के माध्यम से अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं। इनमें आजाद अली,गुलजार अहमद,आर्येन्द्र शर्मा जैसे नाम शामिल हैं। आर्येन्द्र शर्मा कांग्रेस का दमदार नाम है, लेकिन अन्य ऐसे लोग भी कुलांचे भर रहे हैं जो न तीन में न तेरह में वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। राजपुर आरक्षित सीट जिस पर कांग्रेस के राजकुमार वर्तमान में विधायक हैं भाजपा और कांग्रेस की ओर से एक-एक दर्जन दावेदार हैं जो अपनी-अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं जिसके कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है। यही स्थिति मसूरी, रायपुर, डोईवाला, ऋषिकेश,धर्मपुर, विकासनगर और चकराता की भी है। चकराता पर कांग्रेस के प्रीतम सिंह का एक छत्र साम्राज्य है, लेकिन यहां भी प्रीतम सिंह के साथ-साथ कई दावेदार प्रयास कर रहे हैं। विकासनगर में वर्तमान में नवप्रभात विधायक हैं। यहां भी भाजपा और कांग्रेस की ओर से तमाम दावेदारों ने अपने दावे पेश किये हैं। सबसे खतरनाक स्थिति रायपुर विधानसभा की है। जहां वर्तमान विधायक उमेश शर्मा काऊ भाजपा में शामिल हो गए। जिसके कारण यह सीट रिक्त घोषित कर दी गई। अब इस सीट पर उमेश शर्मा काऊ के साथ-साथ कांग्रेस की किन्नर रजनी रावत ने भी अपना दावा ठोका है, जबकि भाजपा की ओर से प्रमुख दावेदार रहे एडवोकेट राजकुमार पुरोहित के साथ-साथ महेन्द्र सिंह नेगी समेत एक दर्जन नेता अपने को उपयुक्त प्रत्याशी बता रहे हैं। यह नेता अपने आप जीत सके न जीत सके पर प्रत्याशी को हराने का दावा कर रहे हैं जिसके कारण कांग्रेस और भाजपा दोनों में प्रत्याशी घोषित करने में पसोपेश बना हुआ है।