हरिद्वार – हरिद्वार जिले के बहादराबाद क्षेत्र के रोहलकी ग्राम में स्थित चिन्मय एडवान्स रिसर्च एजुकेशन केयर नर्सिग कालेज द्वारा विश्व नर्सिंग दिवस के अवसर पर भारतीय परम्पराओ के अनुरूप नर सेवा नारायण सेवा एवं विश्व कल्याण के उद्देश्य का संकल्प लेते हुए पहली बार हिंदी में नर्सिंग के छात्र-छात्राओं के लिए शपथ ग्रहण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर डॉ.अलकनन्दा अशोक ने नर्सिंग के छात्र-छात्राओं को नर्सिंग दिवस की बधाई देते हुए कहा कि कोविड महामारी के दौरान जिस तरह नर्सिंग स्टाफ ने मानव सेवा की उसे पूरे विश्व ने देखा और सरहाया है। महामारी के समय जब घर के लोग अपनों की देखभाल भी करने से डर रहे थे, तब भी नर्सिंग स्टाफ बिना डरे अपने काम को सेवा के रूप में कर रहा था। उन्होंने छात्र-छात्राओं को नर्सिंग प्रोफेशन चुनने के लिए भी शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नर्सिंग एक व्यवसायी कोर्स होने के साथ ही मानव सेवा का सबसे बड़ा माध्यम है।
कालेज के एमडी आर के शर्मा ने कहा की रोगियों की सेवा के माध्यम से नारायण सेवा तक का सफर किस तरह पूरा किया जा सकता है इसका मार्ग स्वामी विवेकानंद ने दिखाया। स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी प्रासंगिक है। बहन निवेदिता ने स्वामी विवेकानंद से दीक्षा लेकर अपना पूरा जीवन रोगियों की सेवा को समर्पित कर दिया। आज नर्सिंग सेवा के साथ ही आर्थिकी मजबूत करने का सबसे सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि नर्सिंग ऐसा विषय है जिसे पढ़कर कोई भी बच्चा बेरोजगार नही रह सकता है। विश्वभर में आज करीब डेढ़ करोड़ नर्सेज की भारी कमी है। मान, सम्मान,सेवा के साथ साथ नर्सिंग की पढ़ाई न केवल रोजगार का सबसे बड़ा साधन बन सकती है भारत के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित कर सेवा, भारतीय संस्कारों से विश्व भर के लिए भारत के सच्चे राजदूतों का काम कर पूरे विश्व के प्रत्येक देश को भारतीय सात्विक मूल्यों से परिचय भी करा सकती हैं और भारत को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने में अपना बहुमूल्य योगदान प्रदान कर सकती हैं । उन्होंने बताया कि केयर से पास आउट सैकड़ो बच्चे आज देश विदेश में बड़े बड़े अस्पतालों में, नर्सिंग संस्थानों में अपनी सेवाएं दे रहे है। निदेशक प्रीतशिखा ने बताया कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की थीम पर कालेज में 99 प्रतिशत बेटियों को स्वावलम्बी बनाया जाता है। पढ़ाई के साथ 100 प्रतिशत रोजगार तथा समाज में प्रतिष्ठा से जीने का अवसर केयर कालेज देता है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के दूर-दराज इलाको से बड़े ही सामान्य परिवार की बेटियां कालेज से पास आउट होकर अपने पूरे परिवार के जीवन यापन की रीढ़ और समाज में प्रतिष्ठा का कारण हैं ।