
गौरतलब है कि हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका पर दिए गए आदेश और सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों में भूस्खलन से झील बनने की आशंका के चलते शासन-प्रशासन में हड़कंप मचा था। शासन को एक सेटेलाइट इमेज मिली थी, जिसमे इंडो चायना बॉर्डर और गौमुख ग्लेशियर में झील बनी हुई है। इसी बात को लेकर आनन-फानन में उत्तरकाशी और टिहरी जिलों के डीएम को अलर्ट किया गया था। बीते सोमवार को ही शासन के निर्देश पर डीएम डा. आशीष चौहान ने एक टीम गोमुख के लिए रवाना कर दी थी, लेकिन भारी बर्फबारी के चलते यह टीम गोमुख तक न पहुंच पाई। फिर शासन की ओर से एसडीआरएफ की माउंटेन टीम को गोमुख के लिए रवाना किया गया।
गुरुवार को फिर उत्तरकाशी से रवाना हुई यह टीम शनिवार को गोमुख पहुंची और रविवार को सकुशल उत्तरकाशी लौट आई है। टीम के लीडर रविंद्र पटवाल ने उत्तरकाशी पहुंचकर गोमुख क्षेत्र में खींची गई तस्वीरें और वीडियो समेत अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया कि गंगोत्री ग्लेशियर क्षेत्र में भूस्खलन या झील बनने से किसी खतरे की आशंका निराधार पाई गई। बर्फ से ढके इस क्षेत्र में सब कुछ सामान्य है। मौके की फोटो, वीडियो समेत रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जा रही है।